इलाहाबाद विश्वविद्यालय के करीब 2,000 स्नातक छात्रों को नया मौका मिला है। सत्र 2024–25 में विश्वविद्यालय और उससे जुड़े कॉलेजों में बीए समेत तीन वर्षीय स्नातक कोर्स में दाखिला लेने वाले कई छात्र पहले वर्ष की परीक्षा में फेल हो गए थे। इनमें से 1,650 छात्र बीए के थे।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के करीब 2,000 स्नातक छात्रों को नया मौका मिला है। सत्र 2024–25 में विश्वविद्यालय और उससे जुड़े कॉलेजों में बीए समेत तीन वर्षीय स्नातक कोर्स में दाखिला लेने वाले कई छात्र पहले वर्ष की परीक्षा में फेल हो गए थे। इनमें से 1,650 छात्र बीए के थे।
अब नई शिक्षा नीति की लचीली व्यवस्था के तहत इन छात्रों को चार वर्षीय वाले स्नातक कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर दिया गया है। इसके लिए छात्रों को 24 अक्टूबर तक दोबारा पंजीकरण कराना होगा। दाखिले के बाद वे नियमित कक्षाओं और प्रैक्टिकल में हिस्सा ले सकेंगे।
इस नए कार्यक्रम में छात्रों की पढ़ाई केवल परीक्षा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि लगातार मूल्यांकन, स्किल डेवलपमेंट और शोध आधारित शिक्षा पर ध्यान दिया जाएगा। इससे छात्रों को बेहतर सीखने का मौका मिलेगा और उनकी पढ़ाई ज्यादा उपयोगी बनेगी।
नई शिक्षा नीति की सबसे खास सुविधा है मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम। यानी, अगर कोई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ना चाहता है तो वह एक, दो या तीन साल बाद प्रमाण पत्र या डिप्लोमा लेकर कोर्स से बाहर निकल सकता है। बाद में वह दोबारा प्रवेश लेकर वहीं से पढ़ाई जारी कर सकता है। यह सुविधा उन छात्रों के लिए खासतौर पर मददगार होगी जिन्हें परिवार, आर्थिक स्थिति या स्वास्थ्य की वजह से बीच में पढ़ाई रोकनी पड़ती है। पहले की व्यवस्था में यह छूट नहीं थी।
ध्यान देने वाली बात यह है कि जो छात्र पहले ही तीन वर्षीय कोर्स में प्रथम वर्ष पास करके दूसरे वर्ष में पहुंच चुके हैं, उन्हें पुरानी वार्षिक प्रणाली के तहत ही पढ़ाई करनी होगी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की यह नई व्यवस्था सिर्फ उन छात्रों के लिए है जो पिछली परीक्षा में फेल हुए हैं। प्रशासन का कहना है कि इस कदम से असफल छात्रों को आधुनिक और लचीली शिक्षा प्रणाली में आगे बढ़ने का नया मौका मिलेगा। चार वर्षीय कोर्स में रिसर्च, इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट वर्क भी शामिल होंगे, जिससे छात्र भविष्य की प्रतिस्पर्धाओं के लिए और मजबूत बनेंगे।