इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जिले में मोहर्रम के अवसर पर 54 गुणा 15 फीट का ताजिया निकालने की अनुमति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जिले में मोहर्रम के अवसर पर 54 गुणा 15 फीट का ताजिया निकालने की अनुमति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि केवल काल्पनिक आशंका के आधार पर याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति एम.के. गुप्ता और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने आफताब हुसैन व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उन्हें इस वर्ष मोहर्रम के दौरान पहले की तरह बड़ा ताजिया निकालने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जबकि पिछले साल बिना किसी परेशानी के यह ताजिया जुलूस निकाला गया था। याची की ओर से यह भी कहा गया कि उन्हें स्थानीय प्रशासन द्वारा मौखिक रूप से मना किया गया है, जबकि इस संबंध में कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया है।
कोर्ट ने कहा कि याची ने खुद माना है कि पुलिस या प्रशासन की ओर से ताजिया निकालने पर कोई प्रत्यक्ष रोक नहीं लगाई गई है। पुलिस थाने कोतवाली द्वारा 22 जून 2025 को जारी नोटिस में सिर्फ यह निर्देश दिया गया है कि जुलूस के दौरान कोई ऐसा कार्य न किया जाए जिससे कानून-व्यवस्था भंग हो। ऐसे में यह कहना कि ताजिया निकालने पर रोक है, याची की काल्पनिक आशंका मात्र है।
हालांकि, कोर्ट ने याची की इस मांग को स्वीकार कर लिया कि उन्हें संबंधित अधिकारी के समक्ष पिछली बार की तरह 54 गुणे 15 फीट का ताजिया निकालने की अनुमति के लिए आवेदन करने की छूट दी जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि याची आवेदन देते हैं तो प्रशासन उसे नियमानुसार विचार करेगा।