हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एमपी हाईस्कूल चयन परीक्षा- 2023 (हाईस्कूल के शिक्षकों के लिए परीक्षा) के एक अभ्यर्थी की अपील को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि अदालतें शैक्षणिक विशेषज्ञों के निर्णयों में दखल नहीं देंगी।
ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एमपी हाईस्कूल चयन परीक्षा- 2023 (हाईस्कूल के शिक्षकों के लिए परीक्षा) के एक अभ्यर्थी की अपील को खारिज करते हुए स्पष्ट किया है कि अदालतें शैक्षणिक विशेषज्ञों के निर्णयों में दखल नहीं देंगी। शैक्षणिक मामलों में न्यायालय की भूमिका सीमित होती है, जब तक कि कोई स्पष्ट दुर्भावना या प्रक्रिया में अनियमितता सिद्ध न हो। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर सका कि विशेषज्ञों की उत्तर कुंजी गलत या मनमानी थी। इसलिए एकल पीठ द्वारा याचिका खारिज करने के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है।मामला सचिन कुमार सक्सेना बनाम राज्य शासन से संबंधित है। अपीलकर्ता ने परीक्षा के कुछ प्रश्नों के मॉडल आंसर को गलत बताते हुए कहा था कि प्रश्न क्रमांक 1, 2, 53, 79 और 89 के उत्तर गलत हैं एवं प्रश्न 24 और 59 को गलत तरीके से हटाया गया। उसने मांग की थी कि इन प्रश्नों के अंक सभी अभ्यर्थियों को दिए जाएं और उसकी मेरिट पुनः तय की जाए। न्यायालय ने रिकॉर्ड का अवलोकन करते हुए पाया कि अभ्यर्थी ने विज्ञापन के क्लॉज 2.10 के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आपत्ति दर्ज नहीं कराई थी। इस क्लॉज के मुताबिक परीक्षार्थियों को उत्तर कुंजी पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए तीन दिन का समय और प्रति प्रश्न 50 रुपए शुल्क निर्धारित है।
पारदर्शिता बनाए रखने विशेषज्ञों के निर्णय को अंतिम माना जाएगा
पारदर्शिता बनाए रखने विशेषज्ञों के निर्णय अंतिम माना जाएगाकोर्ट ने कहा कि जब मॉडल आंसर विषय विशेषज्ञों की समिति द्वारा तैयार किए गए हों और उनकी जांच पुनः विशेषज्ञों द्वारा ही की गई हो, तब न्यायालय इन उत्तरों की समीक्षा नहीं कर सकता। जब तक कोई स्पष्ट दुर्भावना या प्रक्रिया में अनियमितता सिद्ध न हो। परीक्षाओं की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विशेषज्ञों के निर्णय को ही अंतिम माना जाएगा।