राज्य निर्माण के बाद आदिवासियों के लिए आरक्षित चार सीट में से केवल एक सीट में ही कांग्रेस को जीत मिली है। राज्य में आदिवासियों के लिए बस्तर, सरगुजा, रायगढ़ और कांकेर लोकसभा की सीट आरक्षित है।
राहुल जैन
रायपुर. प्रदेश की राजनीति में आदिवासी समाज की दखल जीत-हार का समीकरण बनाने और बिगाड़ने के लिए काफी है। राजनीतिक दल भी इस बात को जानते हैं और समय-समय पर आदिवासी समाज को लेकर अपने दांव भी खेलते रहते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि समाज किसी दल विशेष को महत्व नहीं देता और एकजुटता के साथ मतदान करता है। इसका फर्क पहले के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दिखाई देता है। यही वजह है कि इस बार भी लोकसभा चुनाव में आदिवासी क्षेत्र में हुए मतदान को लेकर राजनीतिक दलों की खास नजर है। वैसे लोकसभा चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा का दबदबा रहा है। राज्य निर्माण के बाद आदिवासियों के लिए आरक्षित चार सीट में से केवल एक सीट में ही कांग्रेस को जीत मिली है। राज्य में आदिवासियों के लिए बस्तर, सरगुजा, रायगढ़ और कांकेर लोकसभा की सीट आरक्षित है।
सरगुजा में बदल गया था मन
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में समाज के मतदाता अपना मन बदलते रहते हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सरगुजा लोकसभा की सभी आठ विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। इसके बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली है। सबसे खास बात यह है कि इस बार परििस्थति ठीक उलट है। सरगुजा लोकसभा की सभी आठ विधानसभा पर भाजपा का कब्जा है। इस बार यहां से भाजपा ने कांग्रेस से दलबदल कर भाजपा में शामिल हुए चिंतामणि महाराज को प्रत्याशी बनाया है। उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी शशि सिंह है। यहां पिछले बार की तुलना में इस बार 2.59 फीसदी अधिक मतदान हुआ है।बाक्स
आदिवासी मुख्यमंत्री का भरोसा
कांग्रेस-भाजपा के केंद्र बिंदु में आदिवासी समाज प्राथमिकता से रहा है। यही वजह है कि राज्य निर्माण के बाद कांग्रेस ने आदिवासी मुख्यमंत्री का दांव खेलते हुए पहला मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि उनकी जाति हमेशा से विवादों में रही है। इसके बाद भाजपा 15 साल तक रमन सिंह को मौका दिया। वर्ष 2018 में सत्ता जाने के बाद भाजपा ने अपनी राजनीतिक के केंद्र में आदिवासी समाज को लेकर आया और इस बार विष्णुदेव साय के हाथ में सत्ता की बागडोर सौंपी।
सरगुजा लोकसभा की सभी विधानसभा सीटों पर मतदान बढ़ा
आदिवासी समाज के लिए आरक्षित चार में केवल सरगुजा लोकसभा ही ऐसी सीट हैं, जहां की सभी आठ विधानसभा सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। रायगढ़ लोकसभा की आठ में से दो विधानसभा सीटों पर मतदान कम हुआ है। बस्तर की तीन और कांकेर लोकसभा की दो विधानसभा सीट में मतदान का प्रतिशत गिरा है।