CG News: कैंसर विभाग के डॉक्टरों को 74 लाख रुपए तक इंसेंटिव मिलना है। ये अस्पताल में किसी भी विभाग में सबसे ज्यादा है। यही नहीं, डॉटा एंट्री ऑपरेटरों को भी पांच लाख रुपए तक इंसेंटिव दिया जाना है।
CG News: आंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों को पिछले दो साल से आयुष्मान भारत योजना (शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य सहायता योजना) के इंसेंटिव के रूप में फूटी कौड़ी नहीं मिली है। जबकि कैंसर विभाग के डॉक्टरों को 74 लाख रुपए तक इंसेंटिव मिलना है। ये अस्पताल में किसी भी विभाग में सबसे ज्यादा है। यही नहीं, डॉटा एंट्री ऑपरेटरों को भी पांच लाख रुपए तक इंसेंटिव दिया जाना है। इंसेंटिव नहीं मिलने से योजना बंद होने का भी हल्ला है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग व स्टेट नोडल एजेंसी के अधिकारियों ने इंसेंटिव देने की बात कही है। फंड नहीं होने के कारण इंसेंटिव नहीं दिया जा रहा है। इससे डॉक्टर समेत पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ में नाराजगी भी है।
योजना में कंसल्टेंट डॉक्टरों को पैकेज का 45 फीसदी इंसेंटिव देने का प्रावधान है। यही कारण है कि कैंसर समेत दूसरे विभागों के डॉक्टरों पर धन बरसने वाला है। वर्ष 2020-21 व 2021-22 में मिलने वाले इंसेंटिव डॉक्टरों के वेतन से कई गुना ज्यादा है। रेडियोलॉजी व कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों को 23-23 लाख रुपए मिलने हैं। 2022-23 व 2023-24 में इससे दोगुना इंसेंटिव मिलने की संभावना है, पर कब मिलेगा, इसका जवाब अधिकारियों के पास भी नहीं है। 2022-23 में आंबेडकर अस्पताल में 110 करोड़ व 2023-2024 में 115 करोड़ रुपए का इलाज योजना के तहत हुआ है। 2022-23 में 70 करोड़ रुपए से ज्यादा का इलाज योजना के तहत किया गया। डॉक्टरों व अन्य स्टाफ का डॉटा स्टेट नोडल एजेंसी को पहले ही भेज दिया गया है। पंप ऑपरेटर, लिफ्टमैन, टेलर, इलेक्ट्रेशियन को इंसेंटिव देने का नियम है।
वे पिछले साल इस मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन से मिलकर इंसेंटिव देने की मांग कर चुके हैं। स्किन विभाग के डॉक्टरों को भी पहले डॉटा एंट्री ऑपरेटर से कम इंसेंटिव मिला है। ने पत्रिका को बताया कि उन्हें एक रुपए इंसेंटिव नहीं मिला है। जबकि वे भी मरीजों का इलाज करते हैं।
इंसेंटिव व इंप्लांट में कथित कमीशन के लालच में कुछ डॉक्टरों पर गैरजरूरी इलाज व प्रोसीजर करने का आरोप लगता रहा है। हालांकि इसकी शिकायत तो होती रही है, लेकिन लिखित में नहीं होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि वेंडर या सप्लायर इंप्लांट में अच्छा खासा कमीशन ऑफर करता है। इंप्लांट व इंसेंटिव मिलने से ऐसे डॉक्टरों के दोनों हाथों में लड़्डू होने की खासी चर्चा भी अस्पताल में है। सामान्यत: कमीशन या पैसे के आरोप में गैरजरूरी इलाज या जांच का आरोप निजी अस्पतालों पर लगता रहता है। आंबेडकर के डॉक्टरों पर ऐसा आरोप चौंकाने वाला है। जानकारों का कहना है कि एक-एक केस का डिटेल लिया जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है।
विभाग राशि (लाख में)
कैंसर 74
ऑब्स एंड गायनी 40
पीडियाट्रिक्स 35
रेडियोलॉजी 23
कार्डियोलॉजी 23
कार्डियक सर्जरी 23
ऑर्थोपीडिक्स 20
जनरल सर्जरी 20
आंको सर्जरी 20
मेडिसिन 19
ऑप्थेलमोलॉजी 15
ईएनटी 15
सभी फिजिशियन और सर्जन 45 प्रतिशत
पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, माइक्रो बायोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री के कंसल्टेंट व रेसीडेंट 20 प्रतिशत की 70 फीसदी।
पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी, माइक्रो बायोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, निश्चेतना के टेक्नीशियन 20 प्रतिशत की 30 फीसदी।
सभी सीनियर व जूनियर रेसीडेंट 10 प्रतिशत
एनीस्थीसिया के कंसल्टेंट 10 प्रतिशत
नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ 6 प्रतिशत
डॉटा एंट्री ऑपरेटर 5 प्रतिशत
चतुर्थ वर्ग व सफाई कर्मचारी 3 प्रतिशत
डीन, अस्पताल अधीक्षक, सहायक अधीक्षक, नोडल अधिकारी, सहायक नोडल अधिकारी व अस्पताल सलाहकार 1 प्रतिशत।