CG Job Opportunity: नया रायपुर में शुक्रवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी मेक इन सिलिकॉन की शुरुआत हुई। इसमें देशभर से तकनीकी विशेषज्ञ, प्रोफेसर और रिसर्चर शामिल हुए।
CG Job Opportunity: छत्तीसगढ़ के ट्रिपल आईटी नया रायपुर में शुक्रवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी मेक इन सिलिकॉन की शुरुआत हुई। इसमें देशभर से तकनीकी विशेषज्ञ, प्रोफेसर और रिसर्चर शामिल हुए। इस दौरान आईआईटी इंदौर के प्रो. संतोष कुमार विश्वकर्मा और ट्रिपलआईटी इलाहाबाद के डायरेक्टर मुकुल शरद ने भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण, निवेश, और स्किल गैप पर विस्तार से चर्चा की।
पत्रिका से बाचतीत में दोनों विशेषज्ञों ने माना कि भारत के पास बड़ा बाजार और युवाशक्ति है, लेकिन प्रशिक्षित मैनपावर की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। प्रो. विश्वकर्मा ने कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। साल 2023 में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनेस 200 बिलियन डॉलर और सेमीकंडक्टर का 40 बिलियन डॉलर था।
2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनेस 500 बिलियन और सेमीकंडक्टर का 135 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। आजादी के 100 साल पूरे होने पर यानी 2047 में इलेक्ट्रॉनिक्स कंजम्प्शन 3 ट्रिलियन डॉलर और सेमीकंडक्टर का बाजार करीब 80 बिलियन डॉलर का होगा।
प्रो. विश्वकर्मा ने बताया 2021 में शुरू हुआ इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन इसी दिशा में बड़ा कदम था। इसमें मैन्युफैक्चरिंग, डिजाइन हाउस, स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप फंडिंग के लिए निवेश का रोडमैप तय किया। अभी इस सेक्टर को 2 से 2.5 लाख इंजीनियरों की जरूरत है, हमारे पास केवल डेढ़ लाख प्रशिक्षित लोग हैं।
छत्तीसगढ़ में सेंट्रल, स्टेट और प्राइवेट इंस्टीट्यूट मिलाकर करीब 1.50 लाख इंजीनियरिंग छात्र हैं। अगर उन्हें सेमीकंडक्टर जैसे उभरते क्षेत्र में ट्रेनिंग दी जाए तो राज्य इस सेक्टर में बड़ा योगदान दे सकता है। बीटेक इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड वीएलएसआई जैसे कोर्स सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुरू किए जाएं। इंडस्ट्री और अकादमिक जगत को मिलकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और रिसर्च सेंटर बनाने होंगे।
ट्रिपलआईटी इलाहाबाद के डायरेक्टर मुकुल शरद ने कहा, भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण की असली चुनौती निवेश नहीं बल्कि स्किल्ड मैनपावर की है। आज ज्यादातर इंजीनियरिंग संस्थान कंप्यूटर साइंस, आईटी या डेटा साइंस पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन अब जरूरत है कि सेमीकंडक्टर डिजाइन और फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी पर भी उतना ही ध्यान दिया जाए।
यह आने वाले समय का सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र होगा। मुकुल शरद ने कहा कि भारत डिजाइन के मामले में मजबूत है, लेकिन फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी अभी भी ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों तक सीमित है। बीटेक स्तर से ही माइक्त्रसेइलेक्ट्रॉनिक्स और चिप डिजाइन जैसे विषय पढ़ाए जाएं तो भारत भी जल्द आत्मनिर्भर बन सकता है।