CG Medical: रायपुर जिले में एनआरआई सर्टिफिकेट बनाने के बाद भी दूर के रिश्तेदारों को एडमिशन की कोई गारंटी नहीं है। अगले साल नियम बदल गया तो एनआरआई कोटा स्पांसर्ड के तहत उनका एडमिशन भी लटक सकता है।
CG Medical: छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में एनआरआई सर्टिफिकेट बनाने के बाद भी दूर के रिश्तेदारों को एडमिशन की कोई गारंटी नहीं है। दरअसल प्रदेश के 5 निजी मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी के हिसाब से 103 सीटें हैं। जबकि चालू सत्र 2024-25 के लिए 143 छात्रों ने एनआरआई कोटे में रजिस्ट्रेशन करवाया है। यानी 40 छात्रों को सीट नहीं मिल पाएगी। उन्हें अगले साल का इंतजार करना होगा। अगले साल नियम बदल गया तो एनआरआई कोटा स्पांसर्ड के तहत उनका एडमिशन भी लटक सकता है।
एनआरआई कोटे को लेकर देश में केवल प्रदेश में चल रहा विवाद खत्म हो गया है। अब चिकित्सा शिक्षा विभाग एक-दो दिन में मापअप राउंड के लिए आवंटन सूची जारी करेगा। दरअसल ये सूची 17 अक्टूबर को आनी थी, लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताकर प्रदेश में ऐसा कंयूजन क्रिएट किया गया कि शासन प्रशासन तक हिल गया। यही नहीं कॉलेज प्रबंधन से लेकर पैरेंट्स व स्टूडेंट का तनाव भी बढ़ गया था।
CG Medical: 22 अक्टूबर को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने शासन की याचिका को खारिज करते हुए 45 छात्रों का प्रवेश बरकरार रखा। इसी बीच पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि आखिर एनआरआई सीटों के लिए इतनी मारामारी व विवाद क्यों हैं?
दरअसल आवंटन सूची रूकने के पहले कहीं-कहीं ये भी हल्ला था कि एनआरआई कोटे के लिए छात्र नहीं मिल रहे हैं इसलिए कन्वर्ट करने के लिए आवंटन सूची रोकी गई है। हालांकि ऐसा नहीं था, मूल विवाद कथित सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर था। इसलिए एजी की राय आते तक आवंटन सूची रोकी गई थी, जो बुधवार तक जारी नहीं हुई थी।
डीएमई कार्यालय ने गुरुवार को आवंटन सूची जारी कर दी है। छात्रों को 29 अक्टूबर तक संबंधित मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में प्रवेश लेना होगा। एनआरआई की खाली 10 सीटों के लिए आवंटन जारी किया गया है। जारी सूचना के अनुसार 25 से 28 तक दस्तावेजों का सत्यापन होगा। निजी कॉलेजों के छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर व दुर्ग में होगी।
एनआरआई कोटे में साढ़े 4 साल के एमबीबीएस कोर्स की कुल फीस 1.32 करोड़ रुपए है। प्रति वर्ष 35 हजार यूएसए डॉलर के हिसाब से पूरे कोर्स की फीस तगड़ी है। हालांकि एनआरआई के लिहाज से ये भी फीस ज्यादा नहीं है, क्योंकि देश के दूसरे राज्यों में मैनेजमेंट कोटे की फीस इतनी या इससे ज्यादा है। मेडिकल कॉलेज संचालक से परिचय या रिश्तेदारी है तो एक करोड़ में भी एडमिशन हो सकता है।
यही नहीं 85 लाख में भी प्रवेश हो जाता है। दरअसल इस कोटे की फीस के लिए मोलभाव होता है। पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर फीस तय होती है। चूंकि प्रदेश में स्टेट व मैनेजमेंट कोटे की फीस सभी मदों को मिलाकर 60 लाख रुपए से ऊपर है। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन अगर इस कोटे में 70 लाख में भी एडमिशन दें तो वे फायदे में ही रहेंगे। यही कारण है कि अधिकृत फीस ज्यादा होने के बाद कम में भी प्रवेश हो जाता है।