
CG Medical Students: छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे में शनिवार को बड़ा पेंच आ गया है। राज्य शासन ने जिस आदेश का हवाला देकर एनआरआई कोटे में प्रवेश रोका है, वह सुप्रीम कोर्ट का नहीं, बल्कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला है। इसी को आधार बनाकर कई छात्र व पालक शासन के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती देने वाले हैं।
CG Medical Students: सोमवार को एक याचिका दायर कर इस मामले में शासन के निर्णय को चुनौती दी जाएगी। संभावना है कि हाईकोर्ट छात्रों व पालकों के तर्क पर स्टे दे दे। सोमवार को ही एनआरआई के दस्तावेज सत्यापन का आखिरी दिन भी है। एनआरआई कोटे का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को 5 निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लिए 45 छात्रों के दस्तावेजों का दोबारा सत्यापन किया जाना था, लेकिन कोई छात्र नहीं पहुंचा।
CG Medical Students: दरअसल छात्रों व पैरेंट्स का मानना है कि राज्य शासन ने सिविल रिट पिटीशन नंबर 20788 ऑफ 2024 की गलत व्याख्या की है। इस मामले में कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन का आदेश त्रुटिपूर्ण है। शेष @ पेज 10
यह आदेश पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश है। इसमें पंजाब-हरियाणा में संशोधन किए गए नियमों को निरस्त व अप्रभावी किया गया है। यह केवल दोनों राज्यों पर लागू होगा न कि छत्तीसगढ़ में। पैरेंट्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करने से मना कर दिया और केस को खारिज कर दिया था। सीनियर जजों ने मौखिक रूप से दूर के रिश्तेदारों को एनआरआई कोटे में प्रवेश देने को बिजनेस व फर्जीवाड़ा कहा था। यह कोई फैसले में कही गई बातें नहीं हैं।
दूसरा आधार छत्तीसगढ़ सरकार की त्रुटिपूर्ण व्याख्या को बनाया गया है। इसमें हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट का बताकर त्रुटिपूर्ण कार्रवाई की गई। तीसरा आधार में कहा गया है कि एनआरआई कोटे में सुप्रीम कोर्ट ने डब्ल्यूपीसी नंबर 689/2017 में फैसला दिया था। उसी आधार पर प्रदेश में एनआरआई कोटे में प्रवेश दिया जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट का आदेश बताकर प्रवेश नियम में बदलाव किया गया है, जो गलत है।
कॉलेज प्रबंधन ने दस्तावेज सत्यापन के लिए किसी छात्र के पहुंचने का दावा किया है। हालांकि पत्रिका रिपोर्टर को दो छात्र मिले थे, जो दस्तावेज सत्यापन के लिए पूछताछ कर रहे थे। पत्रिका रिपोर्टर सुबह साढ़े 11 से दोपहर साढ़े 12 बजे तक नेहरू मेडिकल कॉलेज में मौजूद था। तब तक स्क्रूटिनी कमेटी का कोई भी अधिकारी कॉलेज नहीं पहुंचा था।
स्टूडेंट सेक्शन में जरूर शाखा प्रभारी डॉ. निधि पांडेय व एक स्टाफ मौजूद थे। किसी और स्टाफ नहीं मिलने पर वे ताला लगवाकर आंबेडकर अस्पताल के कैंसर विभाग में डीन डॉ. विवेक चौधरी से मिलने गईं। दरअसल पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि काउंसलिंग कमेटी की ओर से देर रात स्क्रूटिनी की जानकारी दी गई। इसलिए अधिकारी-कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच पाए थे। बाद में सभी पहुंचे और छात्रों का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई नहीं आया।
एनआरआई कोटे के जिन 45 छात्रों के प्रवेश पर बवाल मचा हुआ है, उनमें ज्यादातर अनरिजर्व कैटेगरी के छात्र हैं। ऐसे छात्रों की संख्या 35 है। जबकि ओबीसी के केवल 5 छात्र हैं। सूची का आकलन करने से पता चलता है कि एनआरआई कोटे के लिए अनरिजर्व केटेगरी के छात्र आर्थिक रूप से ज्यादा सक्षम है। इनमें डॉक्टर, बिजनेसमैन, बड़े अधिकारी के रिश्तेदार शामिल है।
पड़ताल में पता चला कि इनमें एनआरआई माता-पिता के पुत्र या पुत्री नहीं के बराबर है। ज्यादातर दूर के रिश्तेदार वाले हैं, जैसे कि नाना-नानी या अन्य। प्रवेश नियम के अनुसार ये सही है, लेकिन इस कोटे में हो रहा खेल जगजाहिर है। इसमें पैसा फेंको, तमाशा देखो की तर्ज पर प्रवेश दिया जाता है। दरअसल आरक्षण के कारण इसमें 137 नीट स्कोर वालों का भी एडमिशन हो जाता है।
Updated on:
21 Oct 2024 11:12 am
Published on:
21 Oct 2024 11:10 am
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