Raipur News: केंद्र सरकार की ओर से फोर्टिफाइड चांवल की खरीदी के लिए नाफेड की ओर से जारी टेंडर शनिवार को निरस्त कर दिया गया है। इस टेंडर को लेकर शुरू से बड़ा विवाद रहा है।
CG News: नाफेद द्वारा खरीदे जाने वाले फोर्टिफाइड चावल की खरीदी के टेंडर को केंद्र सरकार ने निरस्त कर दिया है। केंद्रीय खाद्य विभाग की सहायक निदेशक (स्टोरेज एंड रिसर्च) डॉ. प्रीति शुक्ला द्वारा इसका आदेश जारी किया गया है। साथ ही पूरी प्रक्रिया की जांच करने संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर विभाग को अवगत कराने के लिए कहा गया है।
बताया जाता है कि नियम एवं शर्तों में अचानक बीआईएस प्रमाणन को अनिवार्य कर दिया गया था, जिसके चलते 80 फीसदी से अधिक इकाइयां अयोग्य हो जातीं। जारी आदेश में छत्तीसगढ़ राइस मिल एसोसिएशन की शिकायत का हवाला देते हुए कहा कि कुछ फर्मों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए नियम शर्तों में संशोधन किया गया। नाफेड द्वारा फोर्टिफाइड चावल की खरीदी मार्कफेड के लिए खरीद रहा है। अचानक नियम और शर्तों के लगाने पर कुछ फर्मों को अनुचित लाभ मिलेगा।
एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल द्वारा केंद्रीय खाद्य मंत्री एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री प्रहलाद जोशी से शिकायत की गई थी। इसमें बताया गया था कि केंद्र सरकार ने फोर्टिफाइड राइस कर्नल्स ( एफआरके) निर्माण इकाइयों को प्राथमिकता क्षेत्र में रखा है। यह राष्ट्रीय पोषण सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन नेफेड द्वारा जारी हालिया टेंडर से छत्तीसगढ़ की 80 फीसदी से अधिक एफआरके इकाइयां अयोग्य हो जाएंगी। इस टेंडर में बीआईएस प्रमाणन अनिवार्य किया गया है, जबकि नेफेड ने इम्पैनलमेंट के समय और इससे पहले अनिवार्य नहीं बताया था।
इस अचानक शर्त को लागू करने से राज्य की कई इकाइयां बंद होने की कगार पर आ गई हैं। जिससे 5000 से अधिक लोगों के रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश में एफआरके इकाइयों के पास बीआईएस प्रमाणन नहीं है। यह शर्त ऐसे समय में लागू की गई है जब एफएसएसएआई ने 5 फरवरी 2024 को स्पष्ट किया कि किसी भी खाद्य उत्पाद के लिए बीआईएस या एगमार्क प्रमाणन अनिवार्य नहीं है। अचानक लागू की गई शर्त, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करती है और इससे कुछ व्यक्तियों को अनुचित लाभ पहुंचाने की संभावना भी पैदा होती है।
जांच होगी
केंद्र सरकार के आदेश के बाद राज्य सरकार पूरे मामले की जांच करेगी। साथ ही नाफेड द्वारा जारी की गई निविदा और इसे जारी करने वालों की भूमिका को जांच के दायरे में लिया जाएगा। बता दें कि प्रदेश में करीब 100 एफआरके प्लांट की स्थापना राइस मिलरों द्वारा की गई है। उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है।