CG News: सस्पेंस से भरपूर इस प्ले का दर्शकों ने खूब आनंद लिया और जब सस्पेंस खुला तो दर्शकों के माथे पर हैरानी की सलवटें उभर आईं। दिग्दर्शक शशि वरवंडकर रहे..
ताबीर हुसैन. महाराष्ट्र मंडल में नाटक ‘मैं अनिकेत हूं’ का मंचन किया गया। सस्पेंस से भरपूर इस प्ले का दर्शकों ने खूब आनंद लिया और जब सस्पेंस खुला तो दर्शकों के माथे पर हैरानी की सलवटें उभर आईं। दिग्दर्शक शशि वरवंडकर रहे। उन्होंने अनिकेत की भूमिका भी निभाई। ( CG News ) खास बात यह रही कि यह नाटक 23 साल पहले खेला गया था और शशि ने उसमें भी अनिकेत का किरदार प्ले किया था। नाटक की पूरी कहानी ब्रेन ट्रांसप्लांट पर टिकी है।
आरोपी का शरीर किसी और का है, जबकि संवेदनाएं और स्मृतियां दूसरे इंसान की। यही द्वंद्व पहचान के सवाल को जन्म देता है, जिसका फैसला अंत में दर्शकों पर छोड़ दिया जाता है। इस मंचन में अनुराधा दुबे भी थी जो 23 साल पहले इसी नाटक से रंगमंच पर आई थीं। उनके साथ इस बार 5-6 नए कलाकारों ने भी मंच साझा किया। करीब 70-80 मिनट के इस नाटक का हिंदी रूपांतरण किया गया है, जबकि मूल स्क्रिप्ट मराठी में थी।
नाटक की कहानी बेहद रोमांचक और भावनात्मक रही। इसमें एक आरोपी (अनिकेत) कटघरे में खड़ा होकर दावा करता है कि एक घर, पत्नी, बच्चे और संपत्ति सब उसी के हैं। पर गवाह उसकी पहचान को नकारते हैं। कोर्ट ड्रामा के बीच जब आरोपी खुद जिरह करता है तो हर गवाह को वह यह मानने पर मजबूर करता है कि हा वही है और फिर उसी को पलटकर कह देता है नहीं, यह वही नहीं। कहानी का असली मोड़ तब आता है जब एक डॉक्टर खुलासा करता है कि आरोपी पर ब्रेन ट्रांसप्लांट हुआ है।
यानी शरीर किसी और का है, लेकिन दिमाग और संवेदनाएं दूसरे इंसान की हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि असली पहचान किससे तय होगी। चेहरे से, खून से, फिंगरप्रिंट से या फिर दिमाग और स्मृतियों से? निर्देशक शशि ने बताया कि नाटक का संदेश यही है कि पहचान की असली कसौटी कौन-सी है। अंतिम निर्णय दर्शकों पर छोड़ा है।
लाइट: लोकेश साहू और नितीश यादव
स्टेज: अजय पोतदार और प्रवीण
यूजिक : चैतन्य, रंगभूषा: दिनेश
जज- दिलीप लांबे
सरकारी वकील- चेतन दंडवते
गवाह- श्याम सुंदर खंगन
पेशकार- विनोद राखुंडे
अर्दली- पंकज सराफ
मीनाक्षी- अनुराधा दुबे
डॉ. सुधा- डॉ. प्रीता लाल
मुनीम- प्रकाश खांडेकर
आनंद चौधरी- समीर टल्लू
अनिकेत- शशि वरवंडकर
भैयालाल-श्याम सुंदर
सावित्री- भारती पळसोदकर
धर्मा- रविन्द्र ठेंगड़ी