CLAT 2026 Results: रायपुर के कचना निवासी आरुष तिवारी ने 111 ऑल इंडिया रैंक हासिल कर छत्तीसगढ़ स्टेट टॉपर बनने का गौरव पाया, जबकि शंकर नगर निवासी (मूलत: जांजगीर-चांपा) हर्ष कुमार झा ने 130 ऑल इंडिया रैंक के साथ राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया..
CLAT 2026 Results: कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) के नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सही दिशा, समय पर फैसला और लगातार मेहनत किसी भी लक्ष्य को हासिल करा सकती है। रायपुर के कचना निवासी आरुष तिवारी ने 111 ऑल इंडिया रैंक हासिल कर छत्तीसगढ़ स्टेट टॉपर बनने का गौरव पाया, जबकि शंकर नगर निवासी (मूलत: जांजगीर-चांपा) हर्ष कुमार झा ने 130 ऑल इंडिया रैंक के साथ राज्य में दूसरा स्थान हासिल किया। दोनों विद्यार्थियों की सफलता के पीछे अलग-अलग बैकग्राउंड, लेकिन एक जैसी सोच के साथ मजबूत स्ट्रैटेजी में कंसिस्टेंसी शामिल रही।
आरुष ने बताया, मैंने 10वीं के बाद ही तय कर लिया था कि लॉ फील्ड में जाना है। 10वीं पास करते ही मैंने तैयारी शुरू कर दी। मैं पीसीएम सब्जेक्ट के साथ 12वीं की पढ़ाई कर रहा हूं। पीसीएम से दिमाग शार्प होता है, जिससे क्लैट के हर सेक्शन में मदद मिलती है, खासकर मैथ्स और लॉजिकल पार्ट में। आरुष ने माना कि जीके सबसे ज्यादा चैलेंजिंग सब्जेक्ट है क्योंकि यह बहुत फैला हुआ होता है। इसके लिए मैंने यूट्यूब वीडियो, मंथली मैगजीन, टीचर नोट्स और रोज न्यूज पेपर पढऩे पर फोकस किया। मैंने एआई का भी उपयोग किया, जिससे जीके के टॉपिक समझने में आसानी हुई। पिता दीपक तिवारी नेवी से रिटायर्ड हैं और अभी एसबीआई में कार्यरत हैं। मां अर्चना तिवारी का काफी सपोर्ट रहा।
हर्ष कुमार झा ने लॉ फील्ड चुनने के पीछे समाज को समझने और लोगों की मदद करने की इच्छा को वजह बताया। उन्होंने बताया कि सोशल स्टडीज में रुचि 10वीं के दौरान और गहरी हुई। मैंने ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम से 12वीं में 96.4 प्रतिशत अंक हासिल किए। पिता अभय कुमार झा और माता रूपम झा प्राइवेट एम्पलाई हैं। हर्ष ने कहा कि पिछले साल क्लैट में अपेक्षित रैंक नहीं मिली क्योंकि वे एग्जाम की डिमांड को ठीक से नहीं समझ पाए थे और कंसिस्टेंट नहीं थे। इस बार उन्होंने खुद को हर दिन पढऩे के लिए डिसिप्लिन किया। उनका मानना है कि क्लैट सिर्फ नॉलेज नहीं, बल्कि माइंडसेट और प्रेशर में सही फैसला लेने की क्षमता को भी परखता है।
क्लैट एक्सपर्ट शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि क्लैट 2026 का रिजल्ट इस बार बेहद कॉम्पीटेटिव और बैलेंस्ड रहा। परिणाम में यह साफ दिखा कि परीक्षा केवल किताबी नॉलेज नहीं, बल्कि स्टूडेंट्स की रीडिंग स्किल, एनालिटिकल थिंकिंग और करंट अफेयर्स की गहरी समझ को परखने पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि इस बार पेपर में लंबे पैसेज, लॉजिकल सवाल और करंट इवेंट्स से जुड़े प्रश्नों ने उन छात्रों को बढ़त दिलाई, जिन्होंने नियमित स्टडी, कंसिस्टेंसी और कॉन्सेप्ट क्लैरिटी पर फोकस किया। क्लैट जैसे एग्जाम में सिलेबस सीमित नहीं होता, इसलिए जिन विद्यार्थियों ने एग्जाम की डिमांड को समझते हुए माइंडसेट डेवलप किया वे बेहतर रैंक हासिल कर सके। शैलेन्द्र के अनुसार सही स्ट्रेटजी, टाइम मैनेजमेंट और डेली प्रैक्टिस से क्लैट में सफलता संभव है।