CG Medicine: रायपुर राज्य शासन ने स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग को अस्पताल के लिए कोई भी खरीदी जेम पोर्टल से खरीदने को कहा है।
CG Medicine: छत्तीसगढ़ के रायपुर राज्य शासन ने स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग को अस्पताल के लिए कोई भी खरीदी जेम पोर्टल से खरीदने को कहा है। इसमें दावा किया गया है कि बाजार या टेंडर से इसमें दवाइयां या जरूरी इंप्लांट या कंज्यूमेबल आइटम सस्ता मिलता है। सरकार के आदेश पर ही सीजीएमएससी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। यही नहीं एसीएस को पत्र लिखकर बता दिया है कि जेम से खरीदी महंगी पड़ेगी।
जेम में केवल 150 दवाएं लिस्टेड है और केवल 104 दवाओं को खरीदने से सालाना 75 करोड़ का नुकसान होगा। यानी दवाइयां इतनी महंगी पड़ेंगी। सीजीएमएससी का तत्कालीन एसीएस को लिखा पत्र चौंकाने वाला इसलिए भी है, क्योंकि जेम से खरीदी करने का आदेश शासन ने दिया है। पत्रिका के पास सीजीएमएससी को पिछले साल लिखा पत्र है, जिसमें विस्तार से जेम से खरीदी पर आपत्ति उठाई गई है।
दरअसल इस आदेश के कारण आंबेडकर अस्पताल में न दवाओं की खरीदी हो पा रही है और न ही जरूरी दवाइयों व इंप्लांट की। इसके कारण मरीज बेहाल है। इसके लिए टेंडर किया गया है। इसमें कार्डियक सर्जरी, कॉर्डियोलॉजी, रेडियोलॉजी व ऑर्थोपीडिक डिपार्टमेंट शामिल है।
सरकारी अस्पतालों के लिए दवा से लेकर इंजेक्शन, किट, ब्लेड, ग्लब्स व जरूरी रीएजेंट खरीदने की जिम्मेदारी कॉर्पोरेशन की है। अगर शासन ने जेम पोर्टल से खरीदी करने का आदेश दिया है तो इस संबंध में अधिकारियों से बात कर स्पष्ट जानकारी दे पाऊंगा। -दीपक मस्के, अध्यक्ष सीजीएमएससी
सीजीएमएससी खुले टेंडर के माध्यम से खरीदी करता है। इससे दवाइयां सस्ती पड़ती है। एल-़1 रेट भरने वाले वेंडर से अनुबंध किया जाता है। दवाओं का तुलनात्मक रेट निकालने से पता चलता है कि कॉर्पोरेशन पर भारी आर्थिक भार आएगा। ऐसे में कॉर्पोरेशन को खुले टेंडर के माध्यम से दवा खरीदी की सहमति देने का अनुरोध किया गया है।
हाल ही में कॉर्पोरेशन से सप्लाई दवा, इंजेक्शन, प्रेग्नेंसी किट, सर्जिकल ब्लेड, ग्लब्स समेत कई दवाइयां पर शिकायत हुई है। इसमें हिपेरिन व प्रोटामिन सल्फेट जैसे खून पतला व सामान्य करने वाला इंजेक्शन घटिया निकला है।
जेम पोर्टल में इंप्लांट तो है लेकिन जरूरी एसेसरीज नहीं होने से अस्पताल प्रबंधन और मरीजों की परेशानी भी बढ़ गई है। अस्पताल जेम पोर्टल से तभी खरीदी कर सकता है, जब उनके पास फंड हो। पोर्टल पर 150 दवाएं लिस्टेड हैं। दरअसल अस्पताल के पास लोकल पर्चेस के लिए कुल फंड में केवल 20-25 फीसदी होता है। बाकी फंड सीजीएमएससी के पास होता है। जरूरी चीजें सप्लाई नहीं होने पर प्रबंधन खरीदी तो कर सकता है, लेकिन इसके लिए कॉर्पोरेशन से एनओसी अनिवार्य है।
पिछले साल अस्पताल प्रबंधन ने कॉर्डियोलॉजी, सीटीवीएस, रेडियोलॉजी व ऑर्थोपीडिक विभाग को पत्र लिखकर लोकल पर्चेस पर सवाल उठाए थे। ऑपरेशन निर्धारित होने की तिथि से एक सप्ताह पहले लोकल पर्चेस संबंधी दस्तावेज अधीक्षक कार्यालय में प्रस्तुत करने को कहा गया था। मरीज के ऑपरेशन के बाद अगर क्रय आदेश में संशोधन करवाना है तो उसे भी एक दिन के भीतर करवाएं। ये संशोधन आदेश क्रय शाखा में करवाने को कहा गया है।
जेम पोर्टल से खरीदी पर सवाल उठाने वाला सीजीएमएससी भी सवालों के घेरे में है। कॉर्पोरेशन समय पर दवा सप्लाई कर पा रही है और न इंजेक्शन। यहां तक रीएजेंट सप्लाई करने में भी नाकाम है। पत्रिका के पास उपलब्ध पत्र तत्कालीन एसीएस हैल्थ को लिखा गया है। इसमें 11 जुलाई को वाणिज्य एवं उद्योग विभाग की अधिसूचना अंतर्गत दवा खरीदी की अनुमति मांगी गई है। सीजीएमएससी की तत्कालीन एमडी ने पत्र में एसीएस को अधिसूचना का अवलोकन करने का अनुरोध किया है।
इसमें कहा गया है कि नियमों का पालन करते हुए दवाएं व जरूरी चीजें भारत सरकार के डीजीएसएंडडी की जेम पोर्टल से खरीदी करने कहा गया है। लेकिन ऐसे क्रय के लिए विभाग तकनीकी स्पेसिफिकेशन, विक्रेता की साख व एल-1 का निर्धारण खुद करेगा। नियम 4 के प्रावधान के अनुसार टेंडर के माध्यम से जरूरी चीजें खरीद सकेंगे, लेकिन इसके लिए वित्त विभाग से लिखित सहमति प्राप्त करनी होगी।