Raipur News: डॉक्टर के पास सोनोग्राफी करने वैध डिग्री है कि नहीं, इसे देखने वाला भी कोई नहीं है। बिना नॉलेज व डिग्री के सोनोगाफी जांच कर गलत रिपोर्टिंग भी कर रहे हैं।
Raipur News: राजधानी समेत प्रदेश में बिना वैध डिग्री के डॉक्टर मरीजों की सोनोग्राफी जांच कर रहे हैं। सोनोग्राफी करने के लिए रेडियो डायग्नोसिस में एमडी या डीएमआरडी डिप्लोमा जरूरी है। एमबीबीएस के बाद किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से छह माह की ट्रेनिंग भी अनिवार्य है।
कई डॉक्टर दिल्ली के एक संस्थान से ट्रेनिंग का फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर सोनोग्राफी कर रहे हैं। यही कारण है कि मरीजों की बीमारियों की रिपोर्टिंग भी सही नहीं हो रही है। इससे कई बार इलाज के दौरान गफलत की स्थिति बन जाती है। गायनेकोलॉजिस्ट को जांच की अनुमति दी गई है। आंबेडकर अस्पताल में ऐसी कई रिपोर्ट पहुंचती है, जिसमें रिपोर्टिंग भी सही नहीं लिखी होती। सोनोग्राफी सेंटरों की नियमित जांच नहीं हो रही है।
डॉक्टर के पास सोनोग्राफी करने वैध डिग्री है कि नहीं, इसे देखने वाला भी कोई नहीं है। बिना नॉलेज व डिग्री के सोनोगाफी जांच कर गलत रिपोर्टिंग भी कर रहे हैं। जबकि बिना डिग्री की जांच अवैध व गैरकानूनी है। जानकारों के अनुसार अगर एक-एक सोनोग्राफी सेंटरों की जांच हो जाए तो कई लोग फंसेंगे। जांच का जिमा स्वास्थ्य विभाग के पास है, लेकिन अफसर कार्यालय से बाहर झांकते भी नहीं है। बस लाइसेंस देना व रिनुअल करना काम रह गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एमबीबीएस डॉक्टर द्वारा जांच पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत गैरकानूनी है।
छत्तीसगढ़ में भ्रूण परीक्षण में सक्रिय रहने वाले सोनोग्राफी सेंटरों की जांच इतनी धीमी है कि राज्यभर के करीब 1500 सेंटरों में कभी जांच भी नहीं होती। दरअसल पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत राज्य सरकार हर तीन माह पर जांच रिपोर्ट बनाकर केंद्र को भेजती है। पुराने मामलों को छोड़ दें तो पिछले कुछ वर्षों में केवल एक सेंटर के खिलाफ ही कार्रवाई कोर्ट तक पहुंची है। प्रदेश के चार जिलों रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और रायगढ़ में सबसे ज्यादा सोनोग्राफी सेंटर है। रायपुर सबसे बड़ा केंद्र है। यहां 300 से ज्यादा सोनोग्राफी सेंटर पंजीकृत हैं। भ्रूण हत्या रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट को काफी सत कर दिया गया है। अब हर सेंटर में सोनोग्राफी कराने वाले मरीजों का रेकॉर्ड रखना अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें महिलाओं से 27 बिंदुओं वाला एफ फार्म भरवाया जाता है। जिसमें उस महिला पूरा डिटेल होता है। इसमें पूरा पता, उम्र संबंधित पूरी जानकारी देनी होती है।
एक्ट बनने से जो सबसे बड़ा फायदा ये हुआ है कि अब आयुर्वेदिक या होयोपैथी के डॉक्टर सोनोग्राफी जांच नहीं कर सकते हैं। अब सोनोग्राफी सेंटरों और क्लीनिकों की लगातार मॉनिटरिंग अनिवार्य रूप से करनी होगी। साथ ही हर केंद्र को अपने यहां लगे मशीन के खराब होने की सूचना तत्काल सीएमएचओ कार्यालय को देना होगा। मशीन बदलने से एक महीने पहले ही सीएमएचओ कार्यालय में यह सूचना पहुंच जानी चाहिए। यही नहीं संस्था में पदस्थ सोनोलॉजिस्ट/रेडियोलॉजिस्ट और गायनेकोलॉजिस्ट के नौकरी छोडने और उनको हटाने की सूचना भी एक माह पहले देनी होगी।
न केवल ग्रामीण क्षेत्र, बल्कि शहरी इलाकों से भी सोनोग्राफी जांच की रिपोर्टिंग गलत देखने को मिलती है। ऐसे में मरीजों की दोबारा जांच की जाती है। - डॉ. एसबीएस नेताम, एचओडी रेडियोलॉजी नेहरू मेडिकल कॉलेज
पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत सभी सोनो्ग्राफी सेंटरों का नियमित रूप से जांच की जा रही है। अभी लिंग परीक्षण का कोई मामला भी सामने नहीं आया है।- डॉ. मिथलेश चौधरी, सीएमएचओ रायपुर जिला