Election 2024: इस बार कांग्रेस ने विधायकों के साथ पूर्व मंत्री पर भी दांव खेला है। अब लोकसभा चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि किस राजनीतिक दल में यह फार्मूला कितना फिट बैठा।
CG Lok Sabha Phase 2 Election 2024: पिछले कुछ समय से छत्तीसगढ़ की राजनीतिक सियासत तेजी से करवट ले रही है। नेताओं के साथ राजनीतिक दलों में भी पावर गेम का उपयोग बढ़ गया है। राजनीतिक दलों में चुनाव जीतने के लिए सांसद को विधायक और विधायक को सांसद बनाने की दौड़ लगी है। इस दौड़ की खास बात यह है कि इसमें कभी वरिष्ठ नेताओं का कद बड़ा है, तो कभी घट गया है। हालांकि यह फार्मूला कई राज्यों में सफल रहा है। इस वजह से छत्तीसगढ़ में भी इसका प्रयोग बढ़ गया है। इस बार कांग्रेस-भाजपा दोनों ने अपने-अपने विधायकों पर भरोसा जताते हुए चुनाव मैदान में उतरा था। जबकि पिछली बार कांग्रेस ने अपने विधायक दीपक बैज को मौका दिया था। उन्होंने चुनाव जीता भी था। वहीं भाजपा ने पिछली बार सभी सांसदों का टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव खेला था।
भाजपा ने 1 और कांग्रेस ने 3 विधायक पर खेला दांव
लोकसभा चुनाव में विधायकों को सांसद बनाने की होड़ दिखी। भाजपा ने रायपुर दक्षिण के विधायक और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री व पाटन विधायक भूपेश बघेल को राजनांदगांव से, पूर्व मंत्री व कोंटा विधायक कवासी लखमा को बस्तर से और भिलाई नगर के विधायक देवेन्द्र यादव को बिलासपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। इनके चुनाव मैदान में उतरने से प्रदेश की सियासत में भी सरगर्मी दिखाई दे रही है। इससे पहले वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने विधायक दीपक बैज को बस्तर लोकसभा से अपना प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने यहां से जीत भी हासिल की थी। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस ने विधायकों के साथ पूर्व मंत्री पर भी दांव खेला है। अब लोकसभा चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि किस राजनीतिक दल में यह फार्मूला कितना फिट बैठा।
विधानसभा चुनाव में सांसद को उतारा
भाजपा विधानसभा चुनाव में अपने सांसदों को मैदान में उतारा था। भाजपा ने सांसद विजय बघेल, अरुण साव, गोमती साय और रेणुका सिंह को मौका दिया था। इसमें से विजय बघेल को ही हार का सामना करना पड़ा था। शेष तीन सांसद विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाब हुए। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने के बाद अरुण साव का कद बढ़ा। उन्हें डिप्टी सीएम बनाया गया। हालांकि उनका नाम संभावित सीएम के दावेदारों में भी था। वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह को प्रदेश में मंत्री बनाने की चर्चा थी, लेकिन सरकार में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। यानी एक तरह से उनका कद कम हुआ।