Raipur News: लेटिनेंट जनरल अनिल मलिक (एवीएसएम सेवानिवृत्त) ने कहा, मेरे पिता आर्मी में पोस्टेड थे। 1957 में भारत-पाक तनाव के समय मैंने युद्ध की असलियत को पहली बार समझा।
Raipur News: भारतीय सेना के सफल ऑपरेशन ‘सिंदूर’ की रणनीति, तकनीकी पक्ष और उससे मिले संदेश को लेकर गुरुवार शाम शहर के एक होटल में आयोजित वाईआई टॉक कार्यक्रम में युवाओं ने देश की रक्षा प्रणाली को गहराई से समझा। ‘ऑपरेशन सिंदूर : डिकोडिंग इंडियाज मॉडर्न वारफेयर’ विषय पर आयोजित चर्चा में तीन सेवानिवृत्त जनरलों ने हिस्सा लिया और रक्षा क्षेत्र में टेक्नोलॉजी, निर्णय और नेतृत्व की भूमिका पर प्रकाश डाला।
अनुभव साझा करते हुए लेटिनेंट जनरल अनिल मलिक (एवीएसएम सेवानिवृत्त) ने कहा, मेरे पिता आर्मी में पोस्टेड थे। 1957 में भारत-पाक तनाव के समय मैंने युद्ध की असलियत को पहली बार समझा। झांसी की रानी और महाराणा प्रताप के बारे में सुना था, लेकिन युद्ध का अनुभव उससे कहीं आगे होता है। पाकिस्तान केवल एक छोटा हिस्सा है, लेकिन पूरी दुनिया भारत को देख रही है।
हमारी आर्ड फोर्सेज लगातार आगे बढ़ रही हैं और इकोनॉमी भी मजबूत हो रही है। युद्ध में निर्णय सबसे अहम होता है। जब प्रधानमंत्री निर्णय लेते हैं, तभी सेना एक्शन में आती है। ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि हमारी एयरफोर्स अब हाई स्टैंडर्ड पर पहुंच चुकी है। हमें उन लोगों को नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने हमारे लिए त्याग किया है। ग्रैंड विक्ट्री रही, अब स्माइल करिए!
‘रोल ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी इन ऑपरेशन सिंदूर’ विषय पर जनरल महेश मूलरी (रिटायर्ड) ने बताया, 2024 को इंडियन आर्मी ने ‘ईयर ऑफ टेक्नोलॉजी एब्जॉर्प्शन’ घोषित किया। टेक्नोलॉजी मानव को रिप्लेस नहीं कर सकती, लेकिन उसकी शक्ति को कई गुना बढ़ा सकती है। ऑपरेशन सिंदूर में साइबर वॉरफेयर, सैटेलाइट लिंक, इलेक्ट्रॉनिक इन्फ्रास्ट्रक्र, और माइक्रोवेव रेडियो जैसी तकनीकों ने निर्णायक भूमिका निभाई।
उन्होंने बताया कि ’आकाशदीप’ जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट्स भारत की साइबर क्षमता को दर्शाते हैं। उन्होंने आगाह भी किया कि आने वाले समय में युद्ध सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि साइबर, स्पेस और वॉटर डोमेन्स में भी डिफेंस साइबर एजेंसी, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और इंफॉर्मेशन वॉरफेयर अब हमारी रणनीति का हिस्सा हैं। अगला वॉर और भी घातक हो सकता है।