MLA Devendra Yadav: कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत के निर्देश जारी किए हैं।
MLA Devendra Yadav: बलौदाबाजार हिंसा मामले में जेल में बंद विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत के निर्देश जारी किए है। बता दें कि देवेंद्र यादव रायपुर के सेंट्रल जेल में बंद है। वहीं अब जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आएंगे। संभवत: प्रक्रिया पूरी होने के बाद कल तक यानी शुक्रवार को जेल से रिहा कर दिए जाएंगे।
बलौदाबाजार हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए विधायक देवेन्द्र यादव पिछले 17 अगस्त से जेल में बंद हैं। जानकारी के अनुसार हिंसा मामले में कुल 187 लोग जेल में बंद थे। जिसमें से 28 लोगों को जमानत मिल चुकी है। वहीं बार बार विधायक देवेंद्र यादव की जमानत याचिका खारिज हो रही थी। जिसके बाद विधायक के वकील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं आज कोर्ट से राहत मिल गई।
भिलाई कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव पर पुलिस ने इन डेढ़ दर्जन धाराओं में अपराध दर्ज किया है। चलिए जानते हैं कि इनके मायने क्या हैं?
153: बलवा का केस। 1 साल की सजा।
501(1): राज्य के प्रशासकों, मंत्री की मानहानि। 2 साल कैद।
505(1) (बी): विभिन्न वर्गों में शत्रुता, घृणा पैदा करने वाले कथन।
109: दूसरों को अपराध करने के लिए उकसाना। सजा स्पष्ट नहीं है।
120बी: फांसी, उम्रकैद समेत 2 साल से अधिक कारावास के मामलों में।
147: दंगाइयों पर यह धारा लगाई जाती है। 2 साल सजा का प्रावधान।
148: ऐसे आक्रामक आयुध का इस्तेमाल, जो जानलेवा हो सकता है।
149: 5 या अधिक लोगों द्वारा कोई अपराध करने पर ये धारा लगती है।
186: सरकारी सेवकों के काम में बाधा डालना। एक साल कैद।
353: सरकारी काम में बाधा। आपराधिक बल का इस्तेमाल करना।
332: ऑन ड्यूटी अफसर-कर्मी पर हमला। 3 साल तक की सजा।
333: किसी की संपत्ति में जबरदस्ती घुसकर उसे नुकसान पहुंचाना।
307: हत्या का प्रयास करने पर इस धारा के तहत अपराध दर्ज होता है।
435: विस्फोटक से किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना। 7 साल की सजा।
436: मकान आदि को नष्ट करने के लिए विस्फोटक पदार्थ का इस्तेमाल।
341: किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकने पर ये धारा लगाई जाती है।
427: जनता को नुकसान पहुंचाने के इरादे से संपत्ति या अन्य नुकसान करना।
इसके अलावा सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।