Sunday Guest Editor: रायपुर में जब जिंदगी ने विकल्प दिए घर या कॅरियर, तो नेहा तिवारी चक्रवर्ती ने दोनों को गले लगाया। शादी के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को पीछे नहीं छोड़ा।
Sunday Guest Editor: ताबीर हुसैन. छत्तीसगढ़ के रायपुर में जब जिंदगी ने विकल्प दिए घर या कॅरियर, तो नेहा तिवारी चक्रवर्ती ने दोनों को गले लगाया। शादी के बाद भी उन्होंने अपने सपनों को पीछे नहीं छोड़ा। कचना स्थित अपने घर से उन्होंने एक आईटी कंसल्टेंसी कंपनी की नींव रखी, जहां आज 11 लड़कियां रोजगार पा चुकी हैं। मैंने सबको न सिर्फ टेक्निकल स्किल्स सिखाईं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनना भी सिखाया। मां बनना सिर्फ बच्चे पालना नहीं, समाज की बेटियों को संवारना भी है।
एनआईटी रायपुर से मेटलर्जी में बीई, फिर आईआईटी मुंबई से पीजी करने के बाद नेहा ने पुणे की एक सॉटवेयर कंपनी में काम शुरू किया। कॅरियर रफ़्तार पर था, लेकिन जब ससुरजी की तबीयत खराब हुई, तो वे रायपुर लौट आईं। यहीं से दूसरी पारी शुरू हुई। नेहा ने बताया कि मैंने बीआईटी केंद्री में सात साल तक डीन के रूप में काम किया, लेकिन मुझे हमेशा कुछ अपना करने की चाह थी। ऐसा कुछ जो बेटियों को भी प्रोत्साहित कर सके।
पढ़ाई कभी व्यर्थ नहीं जाती: जो भी सीखा है, चाहे कॉलेज में या जिंदगी से वह कभी न कभी काम आता है। इसलिए सीखना कभी बंद न करें।
अपने लिए खड़े होना सीखो: पहले खुद पर भरोसा रखो, फिर दुनिया भी तुम पर विश्वास करेगी। डर के बजाय हौसले से फैसला लो।
मां बनना कमजोरी नहीं, ताकत है: मातृत्व आपको व जिम्मेदारी बनाता है। समय प्रबंधन व सहनशीलता वहीं से आती है।
फर्स्ट स्टेप लो, रास्ता बनता जाएगा: परफेक्ट प्लान का इंतजार मत करो। एक छोटा स्टेप भी बड़ा बदलाव ला सकता है।
दूसरी लड़कियों का हाथ थामो: अकेले सफल होना अच्छा है, लेकिन दूसरों को साथ लेकर चलना सबसे बड़ी उपलब्धि होती है।
मेरी टीम में शामिल 11 में से अधिकांश लड़कियां फर्स्ट जॉबर्स हैं। किसी की फैमिली तकनीक से परिचित नहीं थी, तो कोई ऑफिस कल्चर से।