CG Naxal News: रायपुर के चंगोराभाठा बाजार चौक से पकड़े गए जग्गू कूरसम उर्फ रवि उर्फ रमेश (28) और उसकी पत्नी कमला (27) मामूली नक्सली नहीं हैं, बल्कि हार्डकोर नक्सली हैं।
CG Naxal News: छत्तीसगढ़ के रायपुर के चंगोराभाठा बाजार चौक से पकड़े गए जग्गू कूरसम उर्फ रवि उर्फ रमेश (28) और उसकी पत्नी कमला (27) मामूली नक्सली नहीं हैं, बल्कि हार्डकोर नक्सली हैं। रमेश नक्सली संगठन में डिवीजन कमेटी मेंबर (डीवीसीएम) था और उसकी पत्नी कमला एरिया कमेटी मेंबर (एसीएम) थी।
दोनों को उत्तर-पश्चिम बस्तर डिवीजन का चार्ज मिला था। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते-लिखते हैं। पिछले कुछ माह से रायपुर में मजदूर बनकर रह रहे थे और अपने नक्सली संगठन का विस्तार कर रहे थे।
सूत्रों के मुताबिक दोनों के पास से 12 लाख रुपए कैश भी बरामद हुआ है। इस राशि का उपयोग दोनों शहर में संगठन विस्तार के लिए खर्च कर रहे थे। रमेश और उसकी पत्नी के पास से एक-एक मोबाइल मिला है। इसके कॉल डिटेल खंगाले जा रहे हैं। दोनों को एसआईए की टीम ने बुधवार की रात पकड़ा था। दोनों बीजापुर के गंगालूर थाना क्षेत्र ग्राम सावनार के रहने वाले हैं।
फोर्स की लगातार कार्रवाई के चलते जंगल में नक्सलियों के पैर उखड़ने लगे हैं। फोर्स से बचने के लिए नक्सलियों के बड़े नेता, मेंबर और थिंकटैंक से जुड़े लोग शहरों में घुस रहे हैं। अलग-अलग कारणों से रह रहे हैं। रमेश के पकड़े जाने के बाद इसका खुलासा हो गया है। रमेश के अलावा कई और मेंबरों के रायपुर में छुपने की आशंका जताई जा रही है।
करीब दो माह से रमेश और उसकी पत्नी को चंगोराभाठा चौक में हेमंत देवांगन के एक छोेटे से कमरे में किराए से रह रहे थे। दोनों को पवन नाम के एक मजदूर ने मकान दिलवाया था। रमेश और उसकी पत्नी के पकड़े जाने के बाद से पवन फरार है। उसका मोबाइल नंबर भी बंद है। मकान मालिक को कमला ने फर्जी आधार कार्ड दिया था। एसआईए की टीम पूरे मामले की जांच कर रही है। कमला को एनआईए कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया है। दूसरी ओर रमेश से पूछताछ की जा रही है।
ईडी के अधिकारियों का कहना है कि घोटाले की रकम को प्रॉपर्टी और अन्य कारोबार में निवेश करने के इनपुट के आधार पर छापेमारी की गई है। साथ ही सभी रियल एस्टेट से जुडे़ कारोबार में निवेशकों की जानकारी जुटाई जा रही है। बताया जाता है कि घोटालों से अर्जित आय प्रदेश के कई कारोबारी सेक्टर में निवेश किए गए हैं। इनमें हॉस्पिटल सेक्टर के साथ अब बिल्डर डेवलपर भी शामिल है।
आशंका जताई जा रही है कि घोटाले से जुड़े वित्तीय लेन-देन और मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए निवेश किया गया है। फिलहाल तलाशी में क्या मिला इसका खुलासा नहीं किया गया है। बता दें कि पहली बार ईडी ने घोटालों की जांच करने के लिए किसी बिल्डर एवं डेवलपर को घेरा गया है। इसके संचालक संजय रहेजा, बिल्डर डेवलपर्स के संगठन छत्तीसगढ़ क्रेडाई के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके है।
पत्रिका ब्यूरो ञ्च बिलासपुर. सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष नक्सली कमांडर कट्टा रामचंद्र रेड्डी के शव को संरक्षित रखने के निर्देश दिए है। कोर्ट ने कहा है कि जब तक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है, तब तक रेड्डी के शव को संरक्षित रखा जाए। 22 सितंबर को नारायणपुर और महाराष्ट्र के अबूझमाड़ फॉरेस्ट में बड़ा नक्सल एनकाउंटर हुआ।
इस मुठभेड़ में दो बड़े नक्सल कमांडर राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी मारे गए थे। एनकाउंटर के बाद रामचंद्र रेड्डी के बेटे राजा चंद्रा ने कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनके पिता का फर्जी एनकाउंटर किया गया है और पुलिस शव को ठिकाने लगाने में लगी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि नक्सली कमांडर के शव का हाईकोर्ट से फैसला आने तक अंतिम संस्कार ना किया जाए।
शासन व पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता सहित मुठभेड़ में 2 लोग मारे गए थे। उनमें से एक के परिवार को शव दे दिया गया। जबकि रेड्डी का शव अस्पताल में संरक्षित रखा गया है।
एसआईए की टीम चंगोराभाठा से गिरफ्तार किए गए जग्गू उर्फ रमेश कुरसम से पूछताछ करेगी। उसे शुक्रवार को बिलासपुर के विशेष एनआईए कोर्ट में पेश कर 3 दिन की रिमांड पर लिया गया है। वहीं पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर प्रकरण डीडी नगर से एसआईए को ट्रांसफर किया गया है।
रिमांड के दौरान उसके अन्य सहयोगियों के संबंध में पूछताछ की जाएगी। 2008 में संतोषी नगर, डंगनिया में नक्सलियों की वर्दी और हथियार का जखीरा बरामद किया जा चुका है। छापेमारी कर चौबे कॉलोनी से प्रिया और मालती को 55 रिवॉल्वर के साथ गिरफ्तार किया गया था।
इस दौरान रामचंद्र रे्डडी उर्फ गुड्सा उसेंडी फरार हो गया था। जिसे 15 दिनों पहले मुठभेड़ में फोर्स ने मार गिराया। रमेश डीवीसीएम था। उसके अधिकार क्षेत्र में 9 एरिया सबडिवीजन था। इन डिवीजन में नक्सली संगठन को मजबूत करने, विस्तार करने, हमले की प्लानिंग आदि चीजों में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। इसी को मजबूत करने वह रायपुर पहुंचा था।