Ophthalmic Assistant Training Centre: छत्तीसगढ़ में नेत्र सहायकों के 300 से ज्यादा पद खाली, ट्रेनिंग सेंटर न होने से स्वास्थ्य सेवाओं पर संकट।
Ophthalmic Assistant Training Centre: छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अहम नेत्र सहायकों के 300 से ज्यादा पद सालों से खाली हैं। राज्य गठन को 25 साल होने जा रहे हैं, लेकिन अब तक ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना नहीं हो सकी है। एमपीडब्ल्यू को प्रमोशन देकर नेत्र सहायक बनाया जाता है, मगर उचित ट्रेनिंग न होने से उनकी कार्यकुशलता पर सवाल उठ रहे हैं। इससे आंखों की जांच और मोतियाबिंद सर्जरी जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
कुछ लोग प्रमोशन के बाद ट्रेनिंग के लिए मध्यप्रदेश चले जाते हैं। इस बात की भी चर्चा है कि कुछ लोग फर्जी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट के भरोसे प्रदेश में नौकरी भी कर रहे हैं। आंख संबंधी बीमारी की जांच व सर्जरी में मदद के लिए नेत्र सहायकों की बड़ी भूमिका है। मोतियाबिंद सर्जरी के लिए सर्वे करना, फिर उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने में नेत्र सहायकों की बड़ी भूमिका होती है। 300 से ज्यादा पदों को भी आज तक नहीं भरा गया।
जानकारों का कहना है कि ट्रेनिंग सेंटर नहीं होने से नेत्र सहायक अपने कार्य में दक्ष नहीं हो पाते। ये ट्रेनिंग दो साल की होती है। एक साल मेडिकल कॉलेज में, 6 माह जिला अस्पताल व 6 माह पीएचसी में ट्रेनिंग लेनी होती है। इसके बाद नेत्र सहायक काम में कुशल होने लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रेनिंग सेंटर नहीं होने से नेत्र सहायकों के काम की क्वालिटी पर सवाल उठ रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि आंख जैसी बीमारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों के लिए ट्रेनिंग सेंटर न होना शासन की गंभीरता पर कई सवाल खड़ा कर रहा है। सिम्स का कोर्स भी आधा-अधूरा: तीन साल पहले सिम्स मेडिकल कॉलेज बिलासपुर ने दो साल का सर्टिफिकेट कोर्स चलाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन यह ऑप्टोमेट्रिक्स का है। इस कोर्स को करने के बाद नेत्र सहायक पद पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती। यही नहीं नेत्र सहायकों को वहां ट्रेनिंग भी नहीं दी जा सकती।
खास बात ये है कि ये कोर्स अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है। दरअसल शासन ने अंधत्व नियंत्रण शाखा से इस पर अभिमत मांगा था कि नेत्र सहायकों को वहां ट्रेनिंग दे सकते हैं या नहीं। इस पर शासन को नहीं का जवाब गया। इस कारण ये सर्टिफिकेट कोर्स शुरू नहीं हो पाया है।
ओटी में नेत्र सर्जन को असिस्ट करना, खासकर जिला अस्पतालों में।
मोतियाबिंद मरीजों की जांच व ओटी में सर्जरी के लिए तैयार करना।
हफ्ते में 3 दिन अस्पताल व इतने ही फील्ड में ड्यूटी करना।
आंख से संबंधित बीमारी के लिए लोगों का सर्वे करना।
स्कूली बच्चों की आंखों की जांच, चश्मा नंबर जांचना।
इसके बाद दृष्टिदोष वाले बच्चों को चश्मा बांटना।
Ophthalmic Assistant Training Centre: डॉ. सुभाष मिश्रा, रिटायर्ड स्टेट नोडल अफसर अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम : शासन को ट्रेनिंग सेंटर के लिए गंभीरता से विचार करना चाहिए। हमारे कार्यकाल में शासन को ट्रेनिंग सेंटर के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। सिम्स बिलासपुर में जो सर्टिफिकेट कोर्स शुरू होना था, वह ऑप्टोमेट्रिक्स का है। इस कोर्स को करने के बाद नेत्र सहायक नहीं बना जा सकता। न ही नेत्र सहायकों को ट्रेनिंग दी जा सकती है।