
Eye Donation: 10 साल में बढ़े नेत्रदान, फिर भी हजारों मरीज इंतजार में... कार्निया की भारी कमी(photo-patrika)
Eye Donation: पीलूराम साहू. छत्तीसगढ़ के रायपुर प्रदेश में नेत्रदान पखवाड़ा सोमवार को खत्म हो गया। आश्चर्य की बात ये है कि इन 15 दिनों में आंबेडकर अस्पताल के आई बैंक को महज दो आंख दान में मिली। जबकि यहां वेटिंग 200 के ऊपर है। भ्रांतियों के कारण कई लोग नेत्रदान नहीं करना चाहते।
यही कारण है कि जरूरत की तुलना में महज दो से तीन फीसदी आंख ही दान में मिल पाती है। नेत्रदान में पूरी आंख (आई बॉल) या कार्निया निकाली जाती है। मरीज को कार्निया ट्रांसप्लांट किया जाता है और बाकी हिस्सा पीजी छात्रों की स्टडी के काम आता है।
प्रदेश में पिछले 10 साल में नेत्रदान (कार्निया) करने वालों की संया बढ़ी है, लेकिन जरूरत के हिसाब से नाकाफी है। यही कारण है कि केवल आंबेडकर अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में रजिस्टर्ड 200 लोगों को कार्निया ट्रांसप्लांट किया जाना है। वे अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।
इन्हें आंख लगाने के बाद ये लोग भी बाकी लोगों की तरह दुनिया देख सकेंगे। नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, स्वैच्छिक नेत्रदान के तहत मिलने वाली आंखों की कार्निया की क्वालिटी अच्छी नहीं रहती, इसलिए दूसरी की आंखों में ट्रांसप्लांट करने में परेशानी हो रही है। प्रदेश के बाकी 7 आई बैंक में भी लंबी वेटिंग है।
डॉक्टरों के अनुसार, उम्रदराज लोगों की मिली आंखें कम उम्र या युवाओं में नहीं लगाई जा सकती। कई बार जरूरतमंद को फोन करने के बावजूद समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते, ऐसे में कार्निया ट्रांसप्लांट करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ये कार्निया किसी काम की नहीं रह जाती। दान में मिली कार्निया बेकार चली जाती है।
स्टेट नोडल अफसर अंधत्व नियंत्रण डॉ. निधि ग्वालारे ने कहा की कार्यक्रम नेत्रदान पहले की तुलना में बढ़ा है। हालांकि जरूरत के हिसाब से काफी कम है। फिर भी लोग जागरूक हो रहे हैं। आंबेडकर अस्पताल में दो नेत्र मिले हैं। बाकी स्थानों पर भी नेत्रदान हुआ है। सभी जिलों की संया कंपाइल नहीं की जा सकी है।
रायपुर आईयूसीएडब्ल्यू एएसपी महिला ममता देवांगन ने कहा की बाहर से ज्वलनशील डालकर थाना पहुंची थी। अचानक उसने खुद पर आग लगाई। इसके बाद थाना के भीतर प्रवेश किया। महिला ने मार्च 2024 में शिकायत की थी, लेकिन काउंसलिंग में नहीं पहुंची थी। पुरानी बस्ती थाने में जब भी शिकायत की है, पुलिस ने कार्रवाई की है। वह अपने पति से प्रताड़ित थी।
आंबेडकर अस्पताल के एसोसिएट प्रोफेसर नेत्र रोग डॉ. रेशु मल्होत्रा ने कहा की कई बार अस्पताल में उम्रदराज लोगों का भी नेत्रदान किया जाता है। यह बेहद अच्छी पहल है। इससे लोग प्रेरित भी होते हैं। हालांकि किसी बच्चे, कम उम्र या युवा को ट्रांसप्लांट करने के लिए अच्छी क्वालिटी की कार्निया की जरूरत रहती है।
ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल ने कहा की आंख व ब्लड कैंसर के बीच सीधा संबंध हो सकता है, खासकर जब ब्लड कैंसर की कोशिकाएं (ल्यूकेमिया) आंख में फैल जाती हैं। या जब आंख का कैंसर ( लिंफोमा) ब्लड या लिफेटिक सिस्टम के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।
प्रदेश के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल व इसके आई सेंटर में सवा साल से आई काउंसलर नहीं है। स्वास्थ्य विभाग काउंसलर नियुक्त नहीं कर पा रहा है। जून में सीएमएचओ कार्यालय ने एक काउंसलर नियुक्त किया था, लेकिन उन्होंने ज्वॉइन ही नहीं की। काउंसलर वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजनों के अलावा फील्ड में जाकर लोगों को नेत्रदान के लिए जागरूक व प्रेरित करता है। बिना काउंसलर कितना नेत्रदान होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है।
Updated on:
11 Sept 2025 11:35 am
Published on:
11 Sept 2025 11:32 am
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