
बिलों से बिल तक, आंबेडकर अस्पताल में चूहों का आतंक, कुतर डाले 20 लाख रुपए...(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में चूहों की समस्या से निजात पाने और उन्हें मारने के लिए करीब 20 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके बाद भी चूहों की धमाचौकड़ी अस्पताल में खत्म नहीं हो रही है। ये चूहे न केवल दवाइयां को नुकसान पहुंचा रहे हैं, अपितु करोड़ों की मशीनों व उपकरणों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
अस्पताल प्रबंधन ने 11 साल पहले चूहों को मारने के लिए टेंडर निकाला था। इसमें 15 लाख रुपए खर्च किए गए थे। इसके बाद 5 लाख रुपए और खर्च किए गए। अभी भी चूहों को मारने के लिए अस्पताल में पेस्ट कंट्रोल का काम चल रहा है। जल्द ही नए सिरे से टेंडर भी मंगाने वाले हैं। किसी अस्पताल द्वारा चूहों को मारने के लिए टेंडर बुलाना पहली घटना थी।
यह मामला काफी चर्चित भी रहा। इसके पहले इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के खात्मे के लिए टेंडर निकाला जा चुका है। देश में भी इस तरह के कम ही मामले हैं। अस्पताल के किचन, मेन दवा स्टोर, आईसीयू समेत विभिन्न वार्डों में चूहों को मारने के लिए जाली लगाई गई।
चूहे मर जाएं, इसके लिए जालियों में खास जेल भी लगाया गया। किचन के आसपास गड्ढों में जहर भी डाला गया, जिससे चूहे मर जाएं। काफी चूहे तो मर गए, लेकिन चूहों से परेशानी का स्थायी समाधान अब तक नहीं मिला। तब चूहा मारने वाली एजेंसी का दावा था कि अस्पताल में कम से कम 10 से 15 हजार चूहे मारे गए।
हालांकि गिनती के लिए कोई खास तकनीक नहीं अपनाई गई। ये केवल अनुमान था। मुश्किल से एक महीना ही सब कुछ ठीक-ठाक चला। उसके बाद चूहों ने सबसे पहले किचन में धावा बोला। उसके बाद आईसीयू व विभिन्न वार्ड समेत दवा स्टोर में लाखों की दवाइयां व खाद्य सामग्रियों को नुकसान पहुंचाया।
अस्पताल प्रबंधन ने इंदौर के लक्ष्मी फिमिगेशन एंड पेस्ट कंट्रोल लिमिटेड को चूहा मारने का ठेका दिया था। एजेंसी ने दावा किया था कि एक दिन में चूहों के डेढ़ हजार बिल मिले थे। रिपोर्टर ने मौके पर जाकर देखा तो इतने बिल हैं ही नहीं। किचन के बाहर चार से पांच बिल एजेंसी के कर्मचारियों ने दिखाए। बाकी बिल के बारे में पूछने पर बगले झांकने लगे। एजेंसी के चेयरमैन डॉ. कर्मरकर ने भी चूहों को चारा डालने के लिए बिल में सेव, बूंदी, चना, बिस्किट रखने का दावा किया था। लेकिन ऐसा कुछ नहीं मिला।
अस्पताल में चूहे लाखों का सीरप पी जाते हैं, बेड तक कुतर देते हैं। एमआरआई व सीटी स्कैन जैसी मशीनों और ऑपरेशन थिएटर में केबल को नुकसान पहुंचाते हैं। अनुमान के अनुसार दवाई स्टोर में ज्यादा नुकसान चूहे ही पहुंचाते हैं। गंदगी भी फैलाते हैं, जिससे अजीब सी दुर्गंध यहां से आती है। इससे डॉक्टर समेत नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ परेशान है।
अधीक्षक आंबेडकर अस्पताल डॉ. संतोष सोनकर ने कहा की चूहों को मारने के लिए पेस्ट कंट्रोल कार्यक्रम चल रहा है। नए सिरे से टेंडर भी किया जाएगा। हमारा पूरा फोकस इक्विपमेंट व महंगी मशीनों को बचाने का रहता है। पिछले एक साल में किसी मशीन के केबल काटने की शिकायत नहीं है। अब तक एनआईसीयू या दूसरे वार्डों में बच्चे या किसी मरीज को कुतरने की घटना भी नहीं हुई है।
Published on:
06 Sept 2025 11:09 am
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