scriptRaipur News: 10 साल में नेत्रदान तो बढ़ा फिर भी, 150 से ज्यादा को कार्निया की जरूरत | Eye donation has increased in 10 years, but still more than 150 people | Patrika News
रायपुर

Raipur News: 10 साल में नेत्रदान तो बढ़ा फिर भी, 150 से ज्यादा को कार्निया की जरूरत

Raipur News: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल व आई सेंटर आंबेडकर में सालभर से आई (आंख) काउंसलर नहीं है। काउंसलर वार्ड में भर्ती मरीजों के अलावा फील्ड में जाकर लोगों को नेत्रदान के लिए जागरूक करता है। जो काउंसलर था, उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी।

रायपुरMay 27, 2025 / 08:58 am

Love Sonkar

Raipur News: 10 साल में नेत्रदान तो बढ़ा फिर भी, 150 से ज्यादा को कार्निया की जरूरत

150 से ज्यादा लोगों को कार्निया की जरूरत (Photo AI)

Raipur News: @ पीलूराम साहू प्रदेश में पिछले 10 साल में नेत्रदान (कार्निया) की संख्या बढ़ी है, लेकिन अभी भी 150 से ज्यादा लोगों को कार्निया की जरूरत है। इन्हें जब कार्निया मिल जाएगा, तब सामान्य लोगों की तरह दुनिया देख सकेंगे। हालांकि कुछ भ्रांतियों के चलते नेत्रदान महादान जैसे नारों के बावजूद लोग नेत्रदान से परहेज कर रहे हैं। इस कारण कई लोगों के जीवन में अंधेरा है।
डॉक्टरों के अनुसार स्वैच्छिक नेत्रदान के तहत मिल रहे आंख की कार्निया की क्वॉलिटी अच्छी नहीं रहती इसलिए इसलिए दूसरी की आंखों में ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता। आंबेडकर अस्पताल में ही 60 से ज्यादा वेटिंग है। प्रदेश के बाकी 7 आई बैंक में भी लंबी वेटिंग है। नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार उम्रदराज लोगों की मिली आंखें कम उम्र या युवाओं में नहीं लगाई जा सकती। कई बार जरूरतमंद को फोन करने के बावजूद समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते, ऐसे में कार्निया ट्रांसप्लांट करना मुश्किल हो जाता है। कार्निया भी खराब हो जाता है।
आंबेडकर के आई सेंटर में सालभर से काउंसलर नहीं

प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल व आई सेंटर आंबेडकर में सालभर से आई (आंख) काउंसलर नहीं है। काउंसलर वार्ड में भर्ती मरीजों के अलावा फील्ड में जाकर लोगों को नेत्रदान के लिए जागरूक करता है। जो काउंसलर था, उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद नई भर्ती नहीं की जा सकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नेत्रदान को लेकर अस्पताल या शासन कितना गंभीर है।
स्कूलों में चलाया गया अभियान ताकि आगे चलकर कर सकें दान

नेत्रदान में कई भ्रांतियां आड़े आ रही हैं। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों के बीच अभियान चलाया गया। आंबेडकर अस्पताल की ओर से तेलीबांधा तालाब व नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं को नेत्रदान के लिए प्रेरित किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार विभिन्न समाज के बीच अभियान चलाकर नेत्रदान को बढ़ाया जा सकता है। 2020 में केंद्र सरकार ने संकल्प पत्र की अनिवार्यता खत्म कर दिया था। ऐसे में कोई भी नेत्रदान कर सकता है।
72 घंटे में लगाना अनिवार्य नहीं

किसी मृत व्यक्ति की आंख 6 घंटे के भीतर निकालना अनिवार्य है। वहीं इसे 72 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना अनिवार्य नहीं है। एडवांस आई बैंक के कारण अब हफ्तेभर के भीतर कार्निया ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। हालांकि अब ऐसे मीडिया (कैमिकल) आ गए हैं, जिसके कारण आंख को 7 से 10 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। आंबेडकर में ऐसी व्यवस्था है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छा रिजल्ट देना है तो आंख को निकालने के बाद जितनी जल्दी कार्निया ट्रांसप्लांट कर दिया जाए, उतना ही अच्छा होता है।
पहले की तुलना में नेत्रदान की संख्या बढ़ी है। वेटिंग के अनुसार जरूरतमंदों में कार्निया ट्रांसप्लांट किया जाता है। लोगों को भ्रांतियों को न मानकर नेत्रदान के लिए आगे आना चाहिए।

डाॅ. निधि अत्रिवाल, स्टेट नोडल अफसर अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम

Hindi News / Raipur / Raipur News: 10 साल में नेत्रदान तो बढ़ा फिर भी, 150 से ज्यादा को कार्निया की जरूरत

ट्रेंडिंग वीडियो