CG News: कोर्ट ने आदेश में कहा-यह एक निर्वाचित सरपंच को हटाने में अधिकारियों की अत्यधिक मनमानी का मामला है, जो एक युवा महिला है और जिसने छत्तीसगढ़ राज्य के एक दूरदराज के इलाके में अपने गांव की सेवा करने के बारे में सोचा था।
CG News: सुप्रीम कोर्ट ने जशपुर जिले की एक महिला सरपंच को पद से हटाने का आदेश रद्द कर दिया। कोर्ट ने उन अधिकारियों की जांच का निर्देश दिया है, जिन्होंने उसे अनुचित रूप से परेशान किया। कोर्ट ने राज्य सरकार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान निर्माण कार्य में देरी के बहाने निर्वाचित महिला सरपंच को अनुचित रूप से परेशान करने के लिए फटकार लगाई। कोर्ट ने आदेश में कहा-यह एक निर्वाचित सरपंच को हटाने में अधिकारियों की अत्यधिक मनमानी का मामला है, जो एक युवा महिला है और जिसने छत्तीसगढ़ राज्य के एक दूरदराज के इलाके में अपने गांव की सेवा करने के बारे में सोचा था। उसकी प्रतिबद्धताओं की प्रशंसा करने या उसके साथ सहयोग करने या मदद का हाथ बढ़ाने के बजाय बिल्कुल अवांछित और अनुचित कारणों से अन्याय किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि निर्माण कार्य में मौसम की दिक्कतों के अलावा इंजीनियरों, ठेकेदारों और सामग्री की समय पर आपूर्ति और उपलब्धता शामिल होती है। निर्माण कार्यों में देरी के लिए एक सरपंच कैसे जिम्मेदार हो सकता है? सरपंच को झूठे बहाने से हटा दिया गया है। इसलिए इन आदेशों को रद्द किया जाता है। अपीलकर्ता अपना कार्यकाल पूरा होने तक ग्राम पंचायत के सरपंच के पद पर रहेगी। प्रतिवादियों के वकील ने आग्रह किया कि अपीलकर्ता को उच्च अधिकारियों के समक्ष जाना चाहिए। इस पर जस्टिस कांत ने टिप्पणी की- आप चाहते हैं कि कुछ क्लर्क जिन्हें सीईओ के रूप में पदोन्नत किया गया है, उनके सामने सरपंच भीख का कटोरा लेकर जाए।
कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता को परेशान किया गया है और मुकदमेबाजी में उलझाया गया है, इसलिए हम उसे 1 लाख रुपये का हर्जाना देते हैं, जिसका भुगतान छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा 4 सप्ताह के भीतर किया जाएगा। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों का पता लगाने के लिए जांच करने के निर्देश दिए। राज्य सरकार प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों से राशि वसूलने के लिए स्वतंत्र होगी।
जशपुर जिले के सजबहार ग्राम में 27 वर्षीय सोनम लकरा 2020 में चुनाव लड़कर पंचायत की सरपंच बनीं। वह अच्छे अंतर से चुनी गई थीं। ग्राम पंचायत में सड़कों सहित 10 निर्माण कार्य शुरू कराए गए। जनपद पंचायत के सीईओ ने 16 दिसंबर 2022 को 3 महीने के भीतर कार्यों को पूरा करने के लिए पत्र जारी किया।
काम समय पर पूरे न होने पर सरपंच पर निर्माण कार्यों में देरी का आरोप लगाया गया। 26 मई.2023 को, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। सरपंच ने आरोपों से इनकार करते हुए अपना स्पष्टीकरण दिया। हालांकि उन्हें जनवरी 2024 में सरपंच के पद से हटा दिया गया था। राहत के लिए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वहां से याचिका खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।