Chhattisgarh News Today: रायपुर कलेक्टर रहते हुए ओपी चौधरी ने एनआईटी-गोल चौक रोड पर खेल मैदान पर वनवासी विकास समिति के लिए एकलव्य छात्रावास निर्माण कराने की स्वीकृति दी थी।
Chhattisgarh News: रविवि कैपस से लगे हुए वनवासी विकास समिति के एकलव्य खेल मैदान में निर्माणाधीन छात्रावास में बड़ा घोटाला फूटा है। इस मामले में आवास मंत्री ओपी चौधरी ने हाउसिंग बोर्ड के प्रभारी उपायुक्त संदीप साहू को निलंबित करने का आदेश दिए। साथ ही इस मामले में शामिल अन्य अधिकारी नीतू गणवीर कार्यपालन अभियंता, ताराचंद सिन्हा सहायक अभियंता एवं राजकुमार परस्ते उप-अभियंता को कारण बताओ नोटिस थमाया गया है।
बता दें कि रायपुर कलेक्टर रहते हुए ओपी चौधरी ने एनआईटी-गोल चौक रोड पर खेल मैदान पर वनवासी विकास समिति के लिए एकलव्य छात्रावास निर्माण कराने की स्वीकृति दी थी। 15 करोड़ 23 लाख की लागत से निर्माणाधीन इस छात्रावास में गंभीर लापरवाही और गड़बड़ियां सामने आने पर कार्रवाई की गई है। क्योंकि, कलेक्टर रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल को नोडल एजेंसी बनाया गया था। इसलिए बोर्ड के उपायुक्त संदीप साहू पर निलंबन की पहली गाज गिरी। उन्होंने हाउसिंग बोर्ड के बिलासपुर कार्यालय में अटैच किया गया।
एकलव्य मैदान पर करोड़ों रुपए की लागत से जिस छात्रावास का निर्माण कराया जा रहा था, वह राशि एनएमडीसी और एसईसीएल के सीएसआर मद से मिली थी। वनवासी विकास समिति के सचिव डॉ. अनुराग जैन, पुरुषोत्तम विधानी, राघव जोशी, रामनाथ कश्यप ने छात्रावास निर्माण में गड़बड़ी और अनियमितता की शिकायत आवास मंत्री ओपी चौधरी से किया था। जिसे तुरंत संज्ञान में लेते हुए मंत्री चौधरी ने हाउसिंग बोर्ड के आयुक्त कुंदन कुमार को प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे।
जांच में खुलासा हुआ कि तत्कालीन कार्यपालन अभियंता संदीप साहू ने बिना प्रशासकीय और तकनीकी स्वीकृति के पूर्व में पीडब्ल्यूडी के द्वारा कराए गए कार्य की तकनीकी स्वीकृति के आधार प्राक्कलन बिना सहायक अभियंता और उप-अभियंता के हस्ताक्षर के प्रस्तुत किया।
अधिकारी द्वारा फर्नीचर आदि की खरीदी के लिए ठेकेदार मेसर्स गणपति इन्फ्रास्ट्रक्चर बिलासपुर को 1 करोड़ 35 लाख 63 हजार 573 रुपए का भुगतान भी जनवरी 2023 में किया। जबकि उस समय सिविल कार्य पूर्ण ही नहीं हुआ था। संदीप साहू द्वारा सामग्रियों को राशि के भुगतान से पूर्व सामग्रियों की वास्तविक कीमत तथा उसकी गुणवत्ता का सत्यापन कराए बगैर मनमाने ढंग से ठेकेदार को भुगतान कर दिया।