रायपुर

रहें अलर्ट… मोटापा और मोबाइल की लत का खतरा, 18% मरीज डायबिटिक, बच्चों में टाइप-2 के केस तेजी से बढ़े

CG News: रायपुर में जंक फूड की लत बच्चों को भी डायबिटिक बना रहा है। 10 से 14 साल की उम्र वाले बच्चों में ये केस आने लगे हैं।

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Nov 14, 2025
रहें अलर्ट… मोटापा और मोबाइल की लत का खतरा, 18% मरीज डायबिटिक, बच्चों में टाइप-2 के केस तेजी से बढ़े(photo-patrika)

CG News: पीलूराम साहू। छत्तीसगढ़ के रायपुर में जंक फूड की लत बच्चों को भी डायबिटिक बना रहा है। 10 से 14 साल की उम्र वाले बच्चों में ये केस आने लगे हैं। 10 साल पहले ऐसे केस जीरो थे। एम्स, आंबेडकर व निजी अस्पतालों में हर माह ऐसे 100 से ज्यादा केस आ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार यह खतरनाक संकेत है।

CG News: मोटापा और मोबाइल की लत का खतरा

बीमारी की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि जनवरी से अक्टूबर तक हुई जांच में 18 फीसदी मरीज डायबिटीज के मिले। कुल 38 लाख 61 लाख 980 लोगों की जांच की गई। इनमें 6 लाख 88 हजार 753 मरीजों के ब्लड में ग्लूकोज का स्तर काफी अधिक मिला। बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज कॉमन है। इसे जेनेटिक भी कहा जाता है। ये पैरेंट्स से मिलते हैं। डॉक्टर इसी के इलाज से उबर नहीं पा रहे हैं, अब नई बीमारी टाइप-2 डायबिटीज आ गई है।

14 नवंबर को विश्व डायबिटीज डे है। इस मौके पर पत्रिका ने सीनियर पीडियाट्रिशियन व जनरल फिजिशियन से बात की तो डायबिटीज को लेकर चौंकाने वाले तथ्य आए। जंक फूड के कारण बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है। आउटडोर गेम कम होने व मोबाइल व टीवी की लत के कारण बच्च्चों में मोटापा बढ़ रहा है। मोटापा से डायबिटीज होने का रिस्क बढ़ जाता है। बच्चों को मोटापा भारी पड़ रहा है।

21 साल के युवाओं को हार्ट की बीमारी

डायबिटीज के कारण 21 साल के युवाओं को भी हार्ट की बीमारी होने लगी है। डायबिटीज न केवल हार्ट, बल्कि किडनी व लिवर का भी दुश्मन है। हार्ट रोग विशेषज्ञों के अनुसार बदलती जीवनशैली व जंक फूड ने कारण न केवल उम्रदराज वरन युवा भी डायबिटिक हो रहे हैं। दरअसल अनियंत्रित डायबिटीज से कोरोनरी आर्टरी या हार्ट को खून पहुंचाने वाली मुख्य नसों में कोलेस्ट्रॉल व कैल्शियम जम जाता है।

इससे नसें संकरी हो जाती हैं। इस कारण हार्ट में पर्याप्त खून की सप्लाई नहीं हो पाती। इससे कुछ मरीज की हार्ट की बायपास सर्जरी की नौबत आ जाती है। ऐसे मरीजों में बायपास सर्जरी भी आसान नहीं है। लंबे समय तक ब्लड में शुगर लेवल 180-200 हो तो यह खतरनाक संकेत है। इससे हार्ट की नसें संकरी हो सकती हैं। ये समस्या न केवल जन्मजात डायबिटीज के मरीजों में होता है, बल्कि टाइप दो के मरीजों में भी देखने को मिलता है।

ग्रामीणों में भी ये बीमारी

10-15 साल पहले तक डायबिटीज को शहर की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन ये ट्रेंड अब पूरी तरह बदल चुका है। अब बदलती जीवनशैली, खानपान व आरामतलब जिंदगी के कारण ज्यादातर लोग डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में डायबिटीज़ के मरीज़ों की संख्या 35 से 37 लाख के करीब है।

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जंक फूड के कारण बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है। इससे डायबिटीज-2 की बीमारी होने लगी है। 15 साल पहले ऐसे मरीजों शून्य थें, अब हर माह 3-4 मरीज आ रहे हैं। ये खतरनाक संकेत है।

स्त्रत्तेत: मेडिसिन-पीडियाट्रिक विभाग

ब्लड में अनियंत्रित शुगर से हार्ट में कोलेस्ट्राल व कैल्शियम जमने लगता है। इससे कोरोनरी आर्टरी संकरी हो जाती है और हार्ट को पर्याप्त ब्लड नहीं मिल पाता। डायबिटिक मरीजों की बायपास सर्जरी भी मुश्किल होती है।

Updated on:
14 Nov 2025 09:50 am
Published on:
14 Nov 2025 09:48 am
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