Sunday Guest Editor: राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी की रहने वाली सपना तांड़ी ने न सिर्फ अपनी जिंदगी शिक्षा से बदली, बल्कि अन्य महिलाओं को भी सामाजिक-पर्यावरणीय जागरुकता से सशक्त किया है।
Sunday Guest Editor: सरिता दुबे. छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी की रहने वाली सपना तांड़ी ने न सिर्फ अपनी जिंदगी शिक्षा से बदली, बल्कि अन्य महिलाओं को भी सामाजिक-पर्यावरणीय जागरुकता से सशक्त किया है। कभी घरों में खाना बनाने वाली सपना ने झुग्गी बस्तियों की महिलाओं को अर्बन फार्मिंग और जैविक खाद बनाना सिखाया, जिससे वे आत्मनिर्भर बनीं।
आज सैकड़ों महिलाएं पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति इतनी सजग हैं कि छोटी बीमारियों का प्राथमिक उपचार खुद ही कर लेती हैं। 39 वर्षीय सपना बताती हैं कि पढ़ाई का शौक था, लेकिन 10वीं में ही शादी हो गई। उन्होंने शादी से पहले शर्त रखी थी कि पढ़ाई जारी रखेंगी। घरों में काम करने के साथ उन्होंने शिक्षा जारी रखी और इस साल एमए फाइनल की परीक्षा देंगी। सपना का मानना है कि गरीबों का जीवन केवल शिक्षा से बदल सकता है।
एक संस्था के साथ जुड़ना सपना के जीवन में नया मोड़ लेकर आया और 3 साल तक उन्होंने संस्था के साथ वॉलेंटियर बनकर काम किया और अब संस्था की स्टॉफ बनकर काम कर रही हैं। गुढ़ियारी में ही एक खाली जमीन पर 50 से अधिक महिलाओं को खेती करना सिखाया। महिलाओं ने 12 प्रकार की अलग-अलग सब्जियां उगाईं, जिसे उन्होंने खुद उपयोग किया। वे आसपास की खाली जगहों में सब्जियां-फल बोकर हरा-भरा करवाती हैं।
सपना ने कई बस्तियों में लोगों के घरों से गीला कचरा महिला स्वयं सहायता समूह से जमा कराया और ताज नगर में इन महिलाओं से जैविक खाद बनावाई। ये महिलाएं गुढ़ियारी के अर्बन फार्मिंग में इस खाद का उपयोग भी कर रही हैं। पर्यावरण के प्रति सजगता के साथ आत्मनिर्भर भी बना रही हैं।