Tendu Fruit in Chhattisgarh: गर्मियों के मौसम में मिलने वाला एक प्रमुख और पारंपरिक फल है तेंदू। यह फल मुख्यतः प्रदेश के घने जंगलों में पाया जाता है और आदिवासी समुदाय के जीवन में इसका विशेष स्थान है।
Tendu Fruit in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में गर्मियों के मौसम में मिलने वाला एक प्रमुख और पारंपरिक फल है तेंदू। यह फल मुख्यतः प्रदेश के घने जंगलों में पाया जाता है और आदिवासी समुदाय के जीवन में इसका विशेष स्थान है। तेंदू न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह पोषक तत्वों से भरपूर भी होता है।
इसके गूदेदार हिस्से को लोग कच्चा खाते हैं, जो स्वाद में मीठा और हल्का कसैला होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे और बड़े सभी इस फल का आनंद लेते हैं। तेंदू फल के साथ-साथ इसके पत्तों का भी आर्थिक महत्व है, क्योंकि इससे बीड़ी बनाने का काम होता है, जो कई लोगों के रोजगार का साधन है। यह फल छत्तीसगढ़ की जैव विविधता और पारंपरिक खानपान का एक अहम हिस्सा है।
तेंदू फल गर्मियों के मौसम में पकने वाला एक मौसमी और पारंपरिक फल है, जो मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाता है। यह फल छोटे आकार का, गहरे पीले या नारंगी रंग का होता है और स्वाद में मीठा तथा थोड़ा कसैला होता है। आदिवासी क्षेत्रों में तेंदू फल न सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों के बीच भी काफी लोकप्रिय है।
जंगलों में स्वच्छंद रूप से उगने वाला यह फल स्थानीय लोगों के आहार का हिस्सा होता है। इसके अलावा, तेंदू के पत्तों का भी विशेष महत्व है, जिनका उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है। तेंदू फल छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वन संस्कृति और ग्रामीण जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है।
तेंदू फल की एक विशेषता यह भी है कि यह पोषण से भरपूर होता है। इसमें प्राकृतिक शर्करा, विटामिन्स और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। यह फल न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि ग्रामीणों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।
गर्मियों के दौरान तेंदू फल तोड़कर स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है, जिससे आदिवासी और ग्रामीण परिवारों को आर्थिक संबल मिलता है। इसके पत्तों से बीड़ी निर्माण भी किया जाता है, जो क्षेत्रीय स्तर पर रोजगार का बड़ा जरिया है। इस तरह तेंदू फल छत्तीसगढ़ की आर्थिक और पारंपरिक जीवनशैली से गहराई से जुड़ा हुआ है।
तेंदू फल को आमतौर पर ताजा खाया जाता है, इसकी मिठास और स्वाद इसे गर्मियों का पसंदीदा फल बनाते हैं। कुछ लोग इसे सुखाकर भी रखते हैं, जिससे यह लंबे समय तक सुरक्षित रह सके और आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके। तेंदू फल को सुखाकर चूर्ण के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, जो पारंपरिक औषधीय गुणों के कारण स्वास्थ्य लाभ देने वाला माना जाता है। इसके अलावा, इसके बीजों का भी कुछ पारंपरिक उपचारों में उपयोग किया जाता है।
तेंदू फल में प्रचुर मात्रा में फाइबर, प्राकृतिक शर्करा और विटामिन पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह फल शरीर को प्राकृतिक रूप से ठंडक प्रदान करता है, जिससे गर्मियों में शरीर का तापमान संतुलित रहता है। इसके नियमित सेवन से ऊर्जा मिलती है और यह कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक होता है। साथ ही, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
तेंदू फल को "गर्मी का नेचुरल टॉनिक" भी कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर को ठंडक पहुंचाने के साथ-साथ गर्मी से होने वाली थकान और डिहाइड्रेशन से भी राहत देता है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह फल पारंपरिक औषधि के रूप में भी जाना जाता है। तेंदू न सिर्फ पोषण का स्रोत है, बल्कि इसका पेड़ बीड़ी पत्तों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिससे यह स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का साधन भी बनता है।