New education policy: नई शिक्षा नीति के सिलेबस के हिसाब से कॉलेज में 70 से अधिक प्राध्यापकों की भर्ती जरूरी है। सेमेस्टर पद्धति से बढ़े कोर्स लोड ने विद्यार्थियों और प्राध्यापकों दोनों की मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं।
New education policy: नई शिक्षा नीति (एनईपी) लागू होने के बाद उच्च शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों की संया लगातार घट रही है। सबसे बड़े दिग्विजय कॉलेज में ही इस शिक्षा सत्र में 500 से अधिक विद्यार्थियों ने ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) ले लिया है। अन्य प्रमुख कॉलेजों में भी यही हाल है। वजह स्पष्ट है एनईपी लागू हुई पर संसाधन, प्राध्यापक और पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध नहीं हुईं।
दिग्विजय कॉलेज में 94 प्राध्यापकों के स्वीकृत पद हैं, 55 प्राध्यापक नियमित हैं। 39 पद में अतिथि व्यायाता की भर्ती की गई है। विशेषज्ञों की माने तो नई शिक्षा नीति के सिलेबस के हिसाब से कॉलेज में 70 से अधिक प्राध्यापकों की भर्ती जरूरी है। सेमेस्टर पद्धति से बढ़े कोर्स लोड ने विद्यार्थियों और प्राध्यापकों दोनों की मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं।
नई शिक्षा नीति के तहत नए विषय जोड़े गए, लेकिन अब तक पुस्तकों का प्रकाशन नहीं हुआ। प्राध्यापकों को लेक्चर देने के पूर्व खुद तैयारी कर पढ़ाना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें समय भी नहीं मिल रहा।
सेमेस्टर प्रणाली से साल में दो बार परीक्षा हो रही है। इसका सीधा असर खर्चों पर भी पड़ रहा है। फीस, कॉपी-किताबें और अन्य शुल्क दोगुने हो गए हैं। हालात यह हैं कि आर्ट के विद्यार्थियों को जूलॉजी और क्वांटम फिजिक्स जैसे विषय पढ़ने पड़ रहे हैं। पढ़ाई समझ न आने पर बड़ी संया में विद्यार्थी बीच में ही कोर्स छोड़ रहे हैं।
ग्रामीण और मध्यमवर्गीय परिवारों से आने वाले अधिकांश विद्यार्थी खेती-किसानी और घरेलू कार्यों में हाथ बंटाने के कारण पढ़ाई पर समय नहीं दे पाते। ऊपर से संसाधनों का अभाव, खाली पद और ढांचागत समस्याएं उनके भविष्य पर सवाल खड़े कर रही हैं। शासन-प्रशासन को इस ओर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
स्वीकृत पद के मुताबिक प्राध्यापक पदस्थ हैं। शासन स्तर से और भर्तियां होनी है। नई शिक्षा नीति को लेकर या पढ़ाई में कहीं कोई दिक्कत नहीं। पढ़ाई के कारण विद्यार्थी टीसी नहीं ले रहे। उनके कुछ निजी कारण हो सकते हैं। - डॉ. सुचित्रा गुप्ता, प्राचार्य दिग्विजय कॉलेज
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति सीधे उच्च शिक्षा में लागू करने की बजाय प्राथमिक स्तर से शुरू करनी चाहिए थी। सीधे उच्च शिक्षा में लागू किए हैं तो कॉलेजों को प्राध्यापक और संसाधन भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
तीन-दफे ओपन काउंसलिंग के बाद भी सीटें रिक्त हैं। रिक्त सीटों में भर्ती के लिए 5 सितंबर तक पोर्टल फिर खोला गया है। विद्यार्थी नई शिक्षा नीति को लेकर रुचि नहीं दिखा रहे। अब रिक्त सीटों पर फिर भर्ती लेने की तैयारी है। सवाल यह कि सितंबर में भर्ती लेने वाले विद्यार्थी सीधे इंटरल एग्जाम फेस करेंगे। फिर दिसंबर में सेमेस्टर परीक्षा होगी। इस बीच दिवाली-दशहरा सहित अन्य पर्वों की छुट्टी भी रहेगी।
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋषि शास्त्री और एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव राजा यादव का कहना है कि प्राध्यापकों को प्रभावी प्रशिक्षण और संसाधन दिए बिना नई शिक्षा नीति सफल नहीं हो सकती। विश्वविद्यालय प्रशासन को गंभीरता से कदम उठाने होंगे, वरना यह नीति विद्यार्थियों को पढ़ाई से दूर करने वाली साबित होगी। डीएमवी में सैकड़ों स्टूडेंट ने ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) ले लिया