CG Railway Station: 15 वर्षों से बिना किसी प्रचार-प्रसार के लगातार बेघरबार लोगों और ट्रेन से आने-जाने वाले यात्रियों को मुफ्त भोजन मुहैया करा रही है।
CG Railway Station: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर में एक ऐसी सेवाभावी संस्था है, जो पिछले 15 वर्षों से बिना किसी प्रचार-प्रसार के लगातार बेघरबार लोगों और ट्रेन से आने-जाने वाले यात्रियों को मुफ्त भोजन मुहैया करा रही है। दादाजी वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से रेलवे स्टेशन के बाहर रात 9 बजे से भंडारा सेवा शुरू की जाती है। यह सिलसिला निरंतर जारी है।
संस्था के अध्यक्ष ब्रिजेश श्यामकर और उनके साथी हर रात स्टेशन के बाहर गरीबों, बेघरबारों और ट्रेन से यात्रा करने वाले लोगों को चावल, दाल, सब्जी, रोटी परोसते हैं। संस्था की ओर से भोजन वितरण का यह कार्य पिछले करीब 15 सालों से जारी है और यह सेवा बहुत से जरूरतमंदों के लिए उम्मीद की किरण बन चुकी है।
ब्रिजेश ने बताया कि उनके साथी और संस्था के सदस्य हर रात रेलवे स्टेशन के पास एक होटल के पास इक_ा होते हैं। इस दौरान उनके भवन में खाना तैयार करने के लिए मजदूर काम करते हैं और फिर रात 9 बजे से लेकर देर रात तक भूखे लोगों को भोजन परोसा जाता है। इस दौरान करीब 100 से 130 लोग रोजाना संस्था की भंडारे सेवा का लाभ उठाते हैं।
ब्रिजेश ने यह भी बताया कि कोरोना महामारी के दौरान भी उनकी संस्था ने निरंतर सेवा का कार्य किया। वे राजनांदगांव सहित जिले के वृद्धाश्रमों में जाकर बुजुर्गों को भोजन, फल और दवाइयों का वितरण करते हैं। इसके अलावा ठंड के मौसम में बेघरबार लोगों और वृद्धाश्रमों में कंबल और अन्य आवश्यक सामान का वितरण भी किया गया।
यह सेवाभावी कार्य न केवल भूखे लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी भेजता है कि अगर हम सब मिलकर प्रयास करें तो दुनिया को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं। दादा जी वेलफेयर फाउंडेशन के इस नेक काम ने आज राजनांदगांव शहर में एक मिसाल पेश की है।
इस नेक काम में संस्था के अध्यक्ष ब्रिजेश श्यामकर के अलावा सदस्य वरुण अड़तिया, अरविंद रजक, नवनीत दास, तुषार साहू, संजय बहादूर, लाला यादव, जितेन्द्र जैन और प्रिंस सिंग शामिल हैं। वहीं संस्था के संरक्षक के रुप में संजय भोजना और अजय सिंह परिहार थे। दोनों अब इस दुनिया में नहीं है।
इस नेक कार्य की शुरुआत 15 साल पहले राजनांदगांव के पीटीएस में पदस्थ प्रधान आरक्षक बीर सिंह पायक ने की थी। वे पहले रात के समय रेलवे स्टेशन के बाहर बैठे बेघरबार लोगों को भोजन वितरित करते थे।