मातृकुण्डिया डूब क्षेत्र में आ रहे गांवों के किसानों का आंदोलन गुरुवार को लगातार 16वें दिन भी जारी रहा।
रेलमगरा. मातृकुण्डिया डूब क्षेत्र में आ रहे गांवों के किसानों का आंदोलन गुरुवार को लगातार 16वें दिन भी जारी रहा। आसमान से रिमझिम बारिश की बूंदें गिरती रहीं, लेकिन आंदोलनकारी किसानों का हौसला कम नहीं हुआ। परिवारों के साथ धरना स्थल पर डटे किसानों ने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, वे पीछे नहीं हटेंगे।
गुरुवार दोपहर बाद मौसम ने करवट ली और क्षेत्र में लगातार रिमझिम बारिश होती रही। इसके बावजूद किसान टस से मस नहीं हुए। धरने में पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चे भी शामिल रहे। कई महिलाएं अपने छोटे बच्चों को लेकर प्लास्टिक की चादरों के नीचे बैठी रहीं। उन्होंने कहा कि हमारे खेत-पानी में जा रहे हैं, हमारी फसलें डूब रही हैं, अब आवाज उठाना ही आखिरी रास्ता है।
इधर मातृकुण्डिया बांध में नदी का पानी तेजी से बढ़ता जा रहा है। दो दिन से चल रही बरसात और ऊपरी इलाकों से आए प्रवाह के चलते बांध अपनी पूर्ण भराव क्षमता से अधिक भर गया है। अब बैक वाटर का फैलाव बढ़ने लगा है और पानी उन खेतों तक पहुंच गया है, जो अब तक डूब क्षेत्र की सीमा में नहीं माने जाते थे। इन खेतों में कई किसानों ने हाल ही में रबी फसलों की बुवाई शुरू कर दी थी। चना, सरसों और गेहूं जैसी फसलों के बीज खेतों में डाल दिए गए थे। लेकिन अब पानी के प्रवेश से दर्जनों बीघा भूमि पर बोई गई फसलें डूबने के कगार पर हैं। किसानों को भारी नुकसान का अंदेशा है।
धरने पर बैठे किसानों ने बताया कि बांध का जलस्तर बढ़ने से न केवल उनकी मौजूदा फसलें नष्ट हो रही हैं, बल्कि जिन किसानों की भूमि आंशिक रूप से डूब क्षेत्र में आ रही है, उन्हें अब तक न तो मुआवजा मिला है और न ही वैकल्पिक जमीन। किसानों ने कहा कि बार-बार प्रशासन को अवगत कराने के बावजूद स्थायी समाधान नहीं निकला, जिस कारण उन्हें परिवार सहित धरने पर बैठने को मजबूर होना पड़ा है। एक बुजुर्ग किसान ने कहा कि हमने खेतों को जोता, बीज डाले, खाद डाली, अब पानी भर गया। अगर यह हाल रहा तो अगली फसल कैसे बोएंगे?
धरना स्थल पर दिनभर ग्रामवासियों का आना-जाना लगा रहा। आसपास के गांवों से भी किसान एकजुटता जताने पहुंचे। कुछ लोगों ने चाय-पानी और भोजन की व्यवस्था की ताकि बारिश में भी धरना जारी रह सके। महिलाओं ने कहा कि जब तक डूब क्षेत्र में आने वाली जमीनों और घरों के लिए उचित मुआवजा व पुनर्वास की घोषणा नहीं होती, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगी।