जिले के खेतों में मानसून की रिमझिम फुहारें हरियाली तो ला रही हैं, पर इस हरियाली में कई ऐसी चुनौतियां भी छुपी हैं
राजसमंद. जिले के खेतों में मानसून की रिमझिम फुहारें हरियाली तो ला रही हैं, पर इस हरियाली में कई ऐसी चुनौतियां भी छुपी हैं, जो किसान से ज्यादा उन पटवारियों और सर्वेयरों को डस रही हैं, जो खरीफ गिरदावरी के लिए खेत-खेत भटक रहे हैं। खरीफ गिरदावरी का काम एक अगस्त से शुरू होना है, लेकिन पटवार संघ, जिला शाखा राजसमंद ने पहले ही इसके तकनीकी झोल और फील्ड में आने वाली मुश्किलों को लेकर प्रशासन को चेता दिया है। बुधवार को जिलाध्यक्ष रोहित पालीवाल के नेतृत्व में पटवारियों के प्रतिनिधिमंडल ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर डीसीएस गिरदावरी ऐप में जरूरी सुधारों की मांग की।
पटवार संघ के जिलाध्यक्ष रोहित पालीवाल ने बताया कि खेतों में इस वक्त पानी भरा है, चारों तरफ कीचड़ है और खरीफ की फसलें तेजी से फैल रही हैं। ऐसे में पटवारियों को खेतों के बीचों-बीच जाना पड़ता है, ताकि डीसीएस गिरदावरी ऐप में लोकेशन की सटीक एंट्री की जा सके। लेकिन खेतों के अंदर घने पानी, कीचड़, झाड़-झंखाड़ और जहरीले सांप-कीड़े पटवारियों की जान पर बन आते हैं। कहने को तो डिजिटल गिरदावरी से पारदर्शिता बढ़ी है, लेकिन ऐप की तकनीकी खामियां अब फील्ड स्टाफ पर भारी पड़ रही हैं। कई बार ऐप में लोकेशन पिन नहीं होती, तो कई बार नेटवर्क न मिलने से डाटा अपलोड नहीं हो पाता।
मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती। पिछले साल सर्वे में लगाए गए कई सर्वेयरों को आज तक मेहनताना नहीं मिला। नतीजा यह हुआ कि इस खरीफ गिरदावरी में नए सर्वेयर भी हाथ खड़े कर रहे हैं। ऐसे में पटवारियों पर फील्ड का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने प्रतिनिधिमंडल की बातें गंभीरता से सुनीं और भरोसा दिलाया कि पटवारियों की बातों को वे उच्च अधिकारियों तक पहुंचाएंगे। साथ ही ऐप की तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
इस अवसर पर संघ के उपाध्यक्ष रतन लाल पायक, जिलामंत्री कालूराम कुमावत, कोषाध्यक्ष दिनेशचंद्र पालीवाल, जिला मीडिया प्रभारी अभिमन्यु सिंह भाटी, उपशाखा अध्यक्ष राजेश रैगर, भावेश खत्री, गोपाल गाडरी, लक्ष्मीलाल कुमावत, रमेश गाडरी, प्रियंका पालीवाल समेत कई पटवारी साथी मौजूद रहे।
पटवार संघ ने दो टूक कहा कि सरकार पारदर्शिता के लिए डिजिटल गिरदावरी को जरूरी मान रही है, लेकिन फील्ड की असल चुनौतियों को भी समझना होगा। ऐप की तकनीकी दिक्कतें और भुगतान में देरी अगर ऐसे ही चलती रही, तो खरीफ गिरदावरी का काम हर साल पटवारियों की जान पर बनकर रहेगा।