शहर के गुजरों का गुढ़ा में बने ट्रेचिंग ग्राउण्ड में कई वर्षो से कचरे का ढेर लगा हुआ था। कचरा निस्तारण कर आरडीएफ और कम्पोस्ट अलग किए जाने के बावजूद सीमेंट फैक्ट्रियां उसका उपयोग नहीं कर रही थी। इसके कारण पहाड़ बन गया था। अब चितौड़ स्थित पावर प्लांट में इसका उपयोग हो रहा है।
राजसमंद. शहर के ट्रेचिंग ग्राउण्ड में वर्षो से जमा आरडीएफ का लगा पहाड़ अब धीरे-धीरे छंटने लगा है। आरडीएफ चितौड़ के पावर प्लांट में सप्लाई हो रही है। इससे नगर परिषद को भी राहत मिलेगी। वहीं आरडीएफ को अब भराई के काम में लिया जा रहा है। नगर परिषद की ओर से ठोस कचरा निस्तारण प्लांट का शुभारंभ 15 अक्टूबर 2016 में हुआ था। इसके पश्चात से शहर से निकलने वाले कचरे को यहां पर एकत्र किया जा रहा था। कचरा निस्तारित नहीं होने के कारण जगह-जगह कचरे के पहाड़ बन गए थे। इसके चलते जनवरी 2021 में जयपुर की फर्म राजसमंद वेस्ट प्राइवेट लिमिटेड को आगामी 20 साल के लिए कचरा निस्तारण का ठेका दिया गया। नगर परिषद के जानकारों के अनुसार इसके पश्चात फर्म ने कम्पोस्ट और आरडीएफ को अलग-अलग किया। इससे कम्पोस्ट और आरडीएफ के पहाड़ लग गए। नगर परिषद ने आरडीएफ (प्लास्टिक) को उठवाने के लिए कई सीमेंट फैक्ट्रियों में बातचीत की। बामुश्किल 4-5 ट्रेलर आरडीएफ उठाया भी, लेकिन जल्द ही बंद हो गया। इसके कारण वर्तमान में 350 टन से अधिक आरडीएफ जमा है। नगर परिषद ने चितौड़ स्थित एक पावर प्लांट में आरडीएफ उठवाने के लिए सम्पर्क किया। इसके पश्चात से अब तक 8-10 ट्रेलर आरडीएफ उठाया गया। इससे नगर परिषद को भी राहत मिली है। वहीं कम्पोस्ट का खाद का उपयोग अब भर्ती में लिया जा रहा है। हालांकि नगर परिषद की ओर से इसके लिए टेण्डर किया था, लेकिन उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था। इसके बाद से कई बार प्रयास किए गए।
जयपुर की फर्म राजसमंद वेस्ट प्राइवेट लिमिटेड ने जनवरी 2021 में कचरा निस्तारण का काम शुरू किया। यह टेण्डर डीएलबी के माध्यम से किया गया। इसकी गाइड लाइन के अनुसार वैल्यू गेप फंडिंग (वीजीएफ) का भुगतान सरकार की ओर से किया जाना है। प्लांट के चालू होने के बाद से अभी तक एक बार भी ठेकेदार को वीजीएफ का 1.25 करोड़ भुगतान नहीं होने के कारण फर्म ने पिछले साल अप्रेल 2024 में काम बंद कर दिया। इसके बाद से अभी तक काम पूरी तरह से बंद पड़ा है।