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Success Story: कंटेंट क्रिएशन ने बदल दी राजस्थान के रमेश चौहान की जिंदगी, सिविल इंजीनियर से बन गए इन्फ्लुएंसर, आज हो रही मोटी कमाई

Motivational Story: राजस्थान के एक छोटे से गांव से निकलकर रमेश चौहान ने कंटेंट क्रिएशन के जरिए अपनी जिंदगी की दिशा बदल दी।

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Ramesh-Chauhan

रमेश चौहान की फोटो: सोशल मीडिया

Inspiring Story Of Ramesh Chouhan: रमेश चौहान की कहानी उन युवाओं के लिए नई प्रेरणा है, जो सपनों और जिम्मेदारियों के बीच रास्ता तलाशते हैं। इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर उन्होंने भी वही रास्ता चुना, जो आमतौर पर हर तकनीकी छात्र का होता है नौकरी का।

राजसमंद जिले के छापली गांव में जन्में रमेश ने आठ साल तक गुजरात, जयपुर सहित कई शहरों में सिविल इंजीनियर के तौर पर काम किया। कंस्ट्रक्शन साइट पर घंटों मेहनत, प्लानिंग और सुपरविजन जिंदगी एक तय रूटीन में बंध चुकी थी। लेकिन भीतर कहीं एक चाह लगातार सिर उठाती रही, कुछ अपना करने की, कुछ अलग बनाने की।

इसी बीच उन्होंने सोशल मीडिया पर मजेदार और जानकारीपूर्ण छोटे-छोटे वीडियो बनाना बनाना शुरू किया। धार्मिक गाने भी रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाले। शुरुआत अच्छी रही, पर जल्द सिलसिला अनियमित हो गया। इसी दौरान 2021-22 में गुजरात में रहते हुए उन्होंने कॉमेडी वीडियो बनाने शुरू किए। लोगों की प्रतिक्रियाएं मिलती रही, पर मन को संतुष्टि नहीं मिली।

नौकरी छोड़कर ऐसे बने फुल टाइम कंटेंट क्रिएटर

रमेश लगातार सोचते रहे कि आखिर ऐसा क्या किया जाए, जो न सिर्फ दर्शकों को पसंद आए, बल्कि उनके कंटेंट को एक पहचान भी मिले। यह खोज उन्हें वहीं ले आई, जहां से उनकी अपनी जड़ें थी गांव, खेत और खलिहान। रमेश ने खेती-किसानी, गांव की जीवंत दिनचर्या और सीजनल एक्टिविटी पर वीडियो बनाना शुरू किया। उनके गांव की सादगी, खेतों का नैचुरल बैकग्राउंड, और उनका हल्का-फुल्का अंदाज दर्शकों को खूब भाने लगा। देखते ही देखते फॉलोअर्स 50 हजार के पार पहुंच गए। यह वह मोड़ था जहां उन्होंने बड़ी नौकरी छोड़ पूरी तरह कंटेंट क्रिएशन को अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया।

सोशल मीडिया से होनी लगी मोटी कमाई

सीजन के अनुरूप बनाए उनके वीडियो इतनी तेजी से लोकप्रिय हुए कि कई बार कुछ ही घंटों में लाखों व्यूज आ जाते। खेती, मौसम, गांव की बोली और ग्रामीण जीवन से जुड़े ट्रेडिंग टॉपिक पर उनके वीडियो दर्शकों को बेहद पसंद आए। सोशल मीडिया से होने वाली कमाई बढ़ती गई और घर की आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी।

सिंगर बनने का सपना था लेकिन बन गए इंजीनियर

रमेश ने आगे बढ़कर छोटे भाई के लिए गांव में कपड़ों की दुकान भी खुलवा दी, जिससे परिवार की आय का एक और स्थायी स्रोत तैयार हो गया। रमेश बचपन से पढ़ाई में तेज थे, इसलिए परिवार को हमेशा भरोसा था कि वह जो भी करेगा, अच्छा करेगा। एक समय उनका सपना सिंगर बनने का था, पर इंजीनियरिंग करते-करते वह दूसरी दिशा में निकल पड़े। लेकिन खेत-खलिहान में बनाए गए वीडियो ने एक तरह से उनके सपनों में फिर से रंग भर दिए। अब वह अपनी आवाज, अपने अंदाज और अपनी मेहनत से लाखों दर्शकों तक पहुंच रहे हैं।

बन गए प्रेरणास्रोत

आज रमेश चौहान सिर्फ एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर नहीं, बल्कि ग्रामीण युवाओं की नई सोच का प्रतीक बन गए हैं कि गांव में रहकर भी ग्लैमर, पहचान और सम्मान हासिल किया जा सकता है। बस जरूरत है लगन, मेहनत और सही दिशा में लगातार कोशिश करने की।

गांव की मिट्टी से मिला मुकाम


रमेश ने तय किया कि क्यों न वही दिखाया जाए, जिसे लोग महसूस करें, जिसे वे जीते हों और जिसकी खुशबू सबसे अलग हो गांव और खेतों की जिंदगी। यहीं से रमेश के कंटेंट को नई दिशा मिली। उन्होंने सीजनल एक्टिविटी, खेतों में कामकाज, गांव की बोली-भाषा, त्योहारों से जुड़ी परंपराएं और ग्रामीण जीवन की मौलिक झलक दिखानी शुरू की। उनके वीडियो असल लगे, बिना बनावट वाले, और यही बात लोगों को सबसे ज्यादा भाने लगी।

धीरे-धीरे फॉलोअर्स बढ़ने लगे और एक दिन 50 हजार का आंकड़ा पार होते ही रमेश ने बड़ा फैसला किया। जॉब छोड़ पूरी तरह कंटेंट क्रिएशन को अपनाने का। इस फैसले ने उनकी जिंदगी बदल दी। उनके सीजनल वीडियो वायरल होने लगे। जब-जब वे खेती से जुड़े ट्रेंड पर वीडियो बनाते, व्यूज लाखों में पहुंच जाते। उनकी लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया से होने वाली आय में भी इजाफा हुआ।

भाई को पैरों पर खड़ा किया

परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी तो रमेश ने अपने छोटे भाई के लिए गांव में कपड़ों की दुकान खुलवा दी. जिससे परिवार को स्थायी आय का एक और सहारा मिला। बचपन से पढ़ाई में होशियार होने के कारण परिवार को भरोसा हमेशा रहा कि वह जो भी करेगा, अच्छा करेगा। रमेश का सपना कभी सिंगर बनने का था और भले वह मंच तक न पहुंचे हों लेकिन सोशल मीडिया ने उनकी आवाज और अंदाज को लाखों लोगों तक पहुंचा दिया है।

रमेश कहते हैं 'गांव में रहकर भी बड़ा सपने देखा जा सकता है। बस पहचान अपनी होनी चाहिए। लोग असली चीज पसंद करते हैं, बनावटी नहीं। आज वह न सिर्फ एक सफल इन्फ्लुएंसर हैं, बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन चुके हैं। उनकी कहानी बताती है कि जॉब हो या खेत-खलिहान, सफलता उसी को मिलती है, जो अपनी सोच को बहादुरी से आगे बढ़ाए।

पूरा इंटरव्यू आप 95 एफएम तड़का पर आरजे अर्पित के साथ उदयपुर लोकल शो के 'व इंफ्लुएंशल आवर' में सुन सकते हैं।


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