राजसमंद

मेवाड़ का यह देसी फल बहुत उपयोगी, लेकिन नहीं मिलते इसके दाम…पढ़े यह है कारण

मेवाड़ में सीताफल की पैदावार अच्छी होती है। अक्टूबर और नवम्बर माह में इनकी अच्छी आवक होने के बावजूद अच्छे भाव नहीं मिलते हैं। इसकी एक भी प्रसंस्करण यूनिट नहीं है। यह फल कई खाद्य पदार्थ और औषधी के रूप में काम आता है।

2 min read
फल एवं सब्जी मंडी में बिक्री के लिए आए सीताफल

राजसमंद. मेवाड़ के देसी फल सीताफल की इन दिनों बहार आई हुई है। स्थिति यह है कि रोड से मंडी तक सीताफल बेचने वालों की लाइनें लगी हुई है, लेकिन जिले में एक भी प्रसंस्करण यूनिट नहीं होने के कारण सीताफल मंडी में मात्र 6-7 रुपए प्रति किलो में बेचने को मजबूर है, जबकि सीताफल का उपयोग कई प्रकार की दवाई बनाने और खाद्य सामग्री में उपयोग होता है। जिले में अक्टूबर एवं नवम्बर माह में कुंभलगढ़, खमनोर, चारभुजा, रिछेड़ सहित आस-पास के क्षेत्र में सीताफल की अच्छी पैदावार होती है। इन क्षेत्रों में प्रत्येक रोड पर सीताफल का पेड़ मिल जाएगा। हालांकि यह फल पेड़ पर बामुश्किल पकता है, इसके कारण इसे सीधे तोडकऱ नहीं खाया जाता है। सीताफल कच्चे तोड़ लिए जाते हैं। इसके बाद उन्हें कागज अथवा कपड़े में लपेटकर दो-तीन दिन रखना पड़ता है। इसके बाद पकने पर इन्हें खाया जाता है। यह खाने में अत्यधिक मीठा होने के साथ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है, लेकिन जिले में एक भी प्रसंस्करण यूनिट नहीं होने के कारण अधिकांश सीताफल बाहर भेजने पड़ते हैं। वहां पर इनकी प्रोसेसिंग कर अच्छे दामों पर बेचा जाता है। जबकि यहां पर ग्रामीणों से मात्र 6-7 रुपए प्रतिकिलो में बामुश्किल खरीद होती है।

तेल, साबुन और पेंट बनाने में भी उपयोगी

जानकारों की मानें तो सीताफल के उपयोग से हृदय सम्बंधित, पेट सम्बंधित, कैंसर, कमजोरी और जोड़ों में दर्द जैसी कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसके बीजों के तेल का इस्तेमाल साबुन और पेंट बनाने में किया जाता है, तो वहीं फसलों के कीट नियंत्रण में भी उपयोगी है।

प्रसंस्करण से यह है बनता

सीताफल का प्रसंस्करण कर उसके गूदे से कई खाद्य पदार्थ व उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इनमें आइसक्रीम, शरबत, जेम, रबड़ी, शेक, पाउडर आदि शामिल हैं। सीताफल के छिलकों से कम्पोस्ट खाद फसलों के लिए काफी लाभदायक है।

कई क्विंटल की हो रही बिक्री

जिला मुख्यालय स्थित सब्जी एवं फल मंडी में प्रतिदिन 2 से 3 क्विंटल सीताफल की आवक हो रही है। नाथद्वारा स्थित फल-सब्जी मंडी में इनकी अच्छी आवक हो रही है। राजनगर से गोमती तक और भीलवाड़ा हाईवे स्थित चुंगी नाका, जे.के. सर्कल सहित सैकडों लोग कट्टे में सीताफल लेकर बिक्री के लिए बैठे रहते हैं। यहां पर 14-15 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से बिक्री होती है। वर्तमान में गुजराती लोगों की अच्छी आवाजाही होने के कारण इनकी अच्छी बिक्री हो रही है।

एक-दो माह का काम, लेबर पड़ती है महंगी

सीताफल का एक-दो माह का काम होता है। पिछले साल प्रोसेसिंग यूनिट ने काम भी शुरू किया था, लेकिन श्रमिकों की मजदूरी अधिक होने के कारण काम बंद कर दिया। सीताफल में किसी प्रकार का रोग भी नहीं लगता है। यह जंगल में उगते हैं। इनके पकने पर तुरंत इनका उपयोग नहीं करने पर यह खराब हो जाते हैं।

  • डॉ. पी.सी.रैगर, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केन्द्र राजसमंद
Updated on:
06 Nov 2024 11:23 am
Published on:
06 Nov 2024 11:22 am
Also Read
View All

अगली खबर