Rampur Lok Sabha Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी यूपी में बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। सपा ने रामपुर, मैनपुरी, कन्नौज समेत कई सीटों पर जबरदस्त वापसी की है। यूपी की हॉट सीटों में से एक रामपुर लोकसभा सीट पर सपा के मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने भाजपा के घनश्याम लोधी को 87434 मतों से हराया है। उन्हें कुल 481503 मत मिले हैं। इसमें अखिलेश यादव के साथ ही आजम खां की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। आइए जानते हैं।
Rampur Lok Sabha Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट यूपी की कुछ सीटों पर आ गया है। जबकि कुछ सीटों पर अभी मतगणना चल रही है। इस बीच जो सबसे बड़ी बात है, वो ये कि यूपी में समाजवादी पार्टी ने जबरदस्त वापसी की है। इसके साथ कांग्रेस का भी ग्राफ सुधरा है। वहीं भाजपा को इस चुनाव में करारा झटका लगा है। यूपी की हॉट सीटों में से एक रामपुर लोकसभा सीट पर सपा के मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने भाजपा के घनश्याम लोधी को 87434 मतों से हराया है। उन्हें कुल 481503 मत मिले हैं। जबकि भाजपा के घनश्याम लोधी 394069 मतों के साथ दूसरे नंबर पर रहे।
सपा के सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव 2024 रामपुर में दोबारा वापसी के लिए आजम खां से लेकर अखिलेश यादव तक की बिछाई बिसात काम आई है। दरअसल, रामपुर लोकसभा सीट पर साल 2019 में आजम खां सांसद बने थे, लेकिन उन्हें कोर्ट से सजा होने के बाद साल 2022 में यहां उपचुनाव कराए गए। इसमें भाजपा के घनश्याम लोधी ने सपा से यह सीट झटक ली। इसके बाद यहां जीत के लिए भाजपा ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही थी।
रामपुर सपा नेता आजम खां का गढ़ माना जाता है। इसके साथ ही यह सीट समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े दुर्ग के रूप में देखी जाती है। आजम खां साल 2022 से सीतापुर जेल में बंद हैं। इसके बावजूद रामपुर में आज भी आजम का सियासी वर्चस्व बरकरार है। यही कारण है कि आजम खां ने यहां अखिलेश यादव से चुनाव लड़ने की मांग की थी, लेकिन अखिलेश यादव ने यहां खुद न लड़कर दिल्ली के मौलाना मोहिबुल्ला नदवी को चुनावी मैदान में उतारा। स्थानीय लोगों ने मौलाना मोहिबुल्ला नदवी को पैराशूट प्रत्याशी बताया। आजम खेमे में बाहरी प्रत्याशी को लेकर विरोध भी पनपने लगा। हालांकि बाद में आजम खां ने बात बिगड़ने से पहले ही मामले को संभाल लिया। इसके साथ ही चुनाव जीतने की रणनीति भी समझाई।
दरअसल, मौलाना नदवी मूल रूप से रामपुर शहर से लगभग- 70-80 किलोमीटर दूर रामपुर निर्वाचन क्षेत्र स्वार-टांडा के रहने वाले हैं। रामपुर में आजम खां के करीबी अब्दुल सलाम सपा के कद्दावर नेता माने जाते हैं। वो उसी तुर्क जाति से आते हैं, जिससे नदवी हैं। सलाम ने आजम खेमे में मौलाना को लेकर चल रही नाराजगी दूर की और उन्हें सपोर्ट करने का ऐलान कर दिया। यही कारण है कि सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली लोकसभा सीट रामपुर में सपा की दोबारा शानदार तरीके से वापसी हो गई।
मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने बताया "मैं 12 साल की उम्र में स्वार-टांडा (रामपुर ग्रामीण) में अपने पैतृक घर से रामपुर शहर आया। इसके बाद नई दिल्ली में संसद के बगल वाली मस्जिद में मौलवी बनने के लिए लखनऊ गया। मैं साल 2005 में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को नमाज़ पढ़ाता था। इसके साथ ही हमेशा इस बात को और अधिक समझता था कि राष्ट्र के प्रति उनकी भूमिका और रोष क्या है। उन्हें देखकर मैं उनके जैसा बनना चाहता था, लेकिन मेरी राजनीति में कोई पैठ नहीं थी। कुछ महीने पहले समाजवादी पार्टी सुप्रीमो से मेरी मुलाकात हुई और मैंने उन्हें कुछ सुझाव दिए। इसके बाद उन्होंने मुझसे मिलने के लिए कहा। उन्हें मेरा सुझाव पसंद आया और मुझे रामपुर से नामांकन दाखिल करने के लिए कहा गया।"
मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने बताया "मेरा मानना है कि मेरी जीत बिना आजम खां का आशीर्वाद मिले संभव ही नहीं थी। यह केवल उनके आशीर्वाद से संभव हुआ है। राजनीति में नया होने के चलते पहले पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने मेरा विरोध किया, लेकिन कभी-कभी परिवार के मुखिया की बात सभी को सुननी होती है।
भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने मीडिया को दिए बयान में कहा था कि केंद्र में मोदी लहर और रामपुर में लोधी लहर है। इसी बीच रामपुर में अखिलेश यादव ने दिल्ली से मौलाना को बुलाकर प्रत्याशी बना दिया। इससे मुस्लिम मतदाता एक हो गए। इसके बाद आजम खां ने भी सीतापुर जेल से अपने कार्यकर्ताओं को संदेश देकर मौलाना को सपोर्ट करने की सलाह दी। इससे पूरा आजम खेमा भी एकजुट हो गया। आजम खां खेमे का पहले विरोध करना और बाद में गुपचुप तरीके से मौलाना को सपोर्ट करना भाजपा को भारी पड़ गया।
आजम खां रामपुर से 10 बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। पहले साल 2022 फिर इसी साल 18 मार्च को रामपुर की एक अदालत ने 2016 में डूंगरपुर प्रकरण में आजम खां को सात साल की सजा सुनाई और उन पर 8 लाख का जुर्माना लगाया था। यह पांचवां मामला था। जिसमें खान को सजा सुनाई गई है। जबकि वो दो मामलों में बरी हो चुके हैं।
इससे मुस्लिम मतदाताओं में भाजपा के प्रति गलत संदेश गया। उधर, पिछले चार दशकों से आजम खान का गढ़ रहे रामपुर में 2019 के बाद बीजेपी ने काफी तेज से अपनी पकड़ मजबूत की, लेकिन इस बार आजम खां के जेल में बंद होने के कारण भाजपा मतदाताओं का मूड भांपने में फेल रही।
रामपुर में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर्स हैं। दो लाख पठान, डेढ़ लाख अंसारी और डेढ़ लाख तुर्क हैं। इसके बाद ढाई लाख लोधी वोटर्स हैं। यहां लोधी मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख है। कुर्मी 40 हजार, दलित 60 हजार, सैनी 70 हजार हैं। बीजेपी ने लोधी प्रत्याशी पर दोबारा दांव लगाया है। वहीं मुस्लिम वोटरों को देखते हुए सपा और बसपा ने इसी समाज के प्रत्याशी को उतारा है। 51% मुस्लिम आबादी वाले रामपुर में आजम खां और अखिलेश यादव की मजबूत रणनीति के चलते मुस्लिम वोट बंटने से बच गया और सपा ने अपना गढ़ भाजपा से वापस ले लिया।