रतलाम

मनकामनेश्वर महादेव : त्रिवेणी तट पर सिद्ध होते हैं भक्ति के 9 रूप, यहां हर मनोकामना होती है पूरी, वीडियो में करें लाइव दर्शन

Sawan 2024 : प्राकृतिक सौंदर्य और प्राचीनता का पर्याय है आस्था का ये केंद्र, किवदंतियों ने बढ़ाई भक्ति की शक्ति। महादेव की शरण में मनोकामना लेकर पहुंचते हैं भक्त, त्रिवेणी तट पर मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं प्रार्थना।

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Sawan 2024 : भूतभावन भगवान भोलेनाथ का मंदिर, प्राकृतिक सुंदरता से घिरा स्थान, शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक वातावरण, हरे-भरे जंगली इलाके, छोटी पहाड़ियों और नदी का किनारा - ऐसी अनेक विशेषताओं का पर्याय है मनकामेश्वर महादेव मंदिर! मध्य प्रदेश के रतलाम शहर से 70 किलोमीटर दूर एक अद्वितीय धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांत माहौल भक्तों को अलौकिक आध्यात्मिक अनुभूति और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है।

श्रद्धा और भक्ति का यह अद्वितीय केंद्र श्रावण मास में शिवभक्ति का अहम स्थल भी बन गया है। त्रिवेणी संगम स्थित मनकामनेश्वर महादेव का यह धाम वैसे तो आसपास के हजारों श्रद्धालुओं का आस्था केंद्र है, लेकिन शिवभक्ति के श्रावण में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। महादेव के दरबार में दूरदराज से भक्त मनोकामना लिए पहुंचते हैं। प्राचीन मान्यताओं व किवदंतियों के कारण भी इस स्थान से आस्था की डोर मजबूती से जुड़ी है। मनोकामना लिए भक्त यहां शिव का अभिषेक करने पहुंचते हैं, तो त्रिवेणी में डूबकी लगाने के साथ मोक्ष प्राप्ति की कामना भी करते हैं।

तीन नदियों का संगम

मनकामनेश्वर महादेव मंदिर त्रिवेणी संगम तट पर स्थित है। यह चंबल, पिंगला व मलेनी का संगम है। संगम पर ही आसपास के चार-पांच गांव का मुक्तिधाम है, इसलिए हरिद्वार व उज्जैन में होने वाली मोक्ष व पिंडदान की अंतिम क्रियाएं भी इस त्रिवेणी संगम तट पर होती हैं। इसी कारण इसे मोक्षदायनी स्थल भी कहा जाता है।

पुत्र प्राप्ति के बाद मनकामनेश्वर महादेव

माना जाता है कि मनकामनेश्वर महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। महादेव के इस पवित्र स्थल से सैलाना के राजा को पुत्र प्राप्ति हुई थी, तभी से इस स्थान का नाम मनकामनेश्वर महादेव पड़ा है।

मनोहारी प्राकृतिक सौंदर्य

यह पुण्य धाम प्राचीनता के साथ प्राकृतिक सौंदर्य को भी अपने में समेटे है। मोक्ष प्राप्ति के इस स्थान पर वैशाख माह में मेला लगता है, मन की कामना पूरी करने के लिए शिवरात्रि व सावन माह में भी भक्तों की भीड़ रहती है। आबादी क्षेत्र से दूर प्रकृति और संस्कृति के साथ पर्यावरण की समृद्ध परंपरा का परिचय देते इस प्राकृतिक सौंदर्य स्थल को अब पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।

Updated on:
29 Jul 2024 03:15 pm
Published on:
29 Jul 2024 02:49 pm
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