MP news: रतलाम जिले के जावरा विकासखंड के सरसी गांव में सरसी हायर सेकंडरी स्कूल मे स्टूडेंट्स ने स्कूल में चल रही अनियमितताओं पर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, वे मांग पर अड़े रहे कि जब तक जिला शिक्षा अधिकारी नहीं आएंगे, वे नहीं उठेंगे, स्टूडेंट्स के साथ उनके अभिभावक और ग्रामीणों में भी दिखा रोष...
Ratlam News: रतलाम जिले के जावरा विकासखंड के सरसी गांव में शुक्रवार 19 सितंबर की सुबह स्कूली बच्चे स्कूल में अंदर जाने के बजाय, स्कूल के बाहर सड़क पर बैठकर नारेबाजी करते नजर आए। सरसी हायर सेकंडरी स्कूल के इन स्टूडेंट्स के धरना-प्रदर्शन ने प्रशासन को कटघरे में ला खड़ा किया है। पढ़ने-लिखने की उम्र में सड़क पर बैठकर ये बच्चे अपनी आवाज बुलंद करते नजर आ रहै हैं। इनका आरोप है कि स्कूल में लगातार अनियमितताएं हो रही हैं। नियमित पढ़ाई नहीं होती। शिक्षकों की कमी है और उस पर बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।
इन स्टूडेंट्स का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी समस्याएं शिक्षकों और प्रबंधन के सामने रख रहे हैं, लेकिन कोई भी उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा। शिकायत न सुनने पर पढ़ने-लिखने का ये शौक इन बच्चों को सड़क पर ले आया। यह दृश्य न केवल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है, बल्कि ग्रामीण अंचल में शिक्षा के प्रति प्रशासन की उदासीनता को भी उजागर करता है।
धरना-प्रदर्शन की सूचना मिलते ही गांव के सरपंच, ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर (BRCC) ज्योति पटेल और जावरा तहसीलदार मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बच्चों से चर्चा की। स्टूडेंट्स ने साफ कहा कि जब तक जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) खुद नहीं आएंगे और समस्याओं का समाधान नहीं करेंगे, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगे।
रतलाम जिले में स्कूली बच्चों का सड़क पर उतरना (School Students) किसी भी समाज के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति कही जा सकती है। शिक्षा बच्चों का मूल अधिकार है, लेकिन जब वही बच्चे स्कूल की पढ़ाई छोड़कर धरना-प्रदर्शन को मजबूर हो गए। ये मजबूरी इनका सपना है जिस पर प्रशासनिक उदासीनता पानी फेरती नजर आ रही है। ग्रामीण अंचल के बच्चे वैसे भी संसाधनों और अवसरों की कमी से जूझते रहते हैं। ऐसे में अगर संचालित किए जा रहे स्कूलों में भी अनियमितताएं हों तो सवाल अहम है कैसा होगा इनका भविष्य?
धरना स्थल पर बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें, लेकिन अगर स्कूल में पढ़ाई ही नहीं होगी तो गांव के बच्चे पिछड़े ही रह जाएंगे। एक अभिभावक ने आक्रोश जताया कि मामले पर लीपा पोती करने के बजाय अधिकारियों को बुलाया जाए, ताकि समस्याओं का समाधान मिले। उन्होंने बच्चो से कहा- 'तुम्हारे पालक तुम्हारे साथ हैं, पूरा गांव तुम्हारे साथ खड़ा है, डरना नहीं।'
अभी तक जिला शिक्षा अधिकारी का इस मामले पर आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन छात्रों की जिद और आक्रोश को देखते हुए यह साफ है कि जब तक उच्च अधिकारी सामने आकर ठोस समाधान नहीं देंगे, तब तक स्थिति सामान्य होना मुश्किल है। क्योंकि बच्चे अब समाधान के मूड में हैं और जिला शिक्षा अधिकारी के आने का इंतजार कर रहे हैं।