तीन माह पिछड़ा नीमच-रतलाम दोहरीकरण कार्य, रेलवे सेफ्टी कमीश्नर का दौरा टला, इससे कई सुविधाएं रतलाम को अब देरी से मिलेगी
रतलाम। नीमच-रतलाम रेलवे दोहरीकरण कार्य दिसंबर में पूरा होने का कार्य तीन माह पिछड़ गया है। इस कार्य को इसी माह में समाप्त होना था, अब यह अगले साल मार्च तक पूरा होगा। इससे इसी माह रेलवे सेफ्टी कमीश्नर का निरीक्षण दौरा टाल दिया गया है। रेलवे मंत्रालय से पश्चिम रेलवे को मिली फटकार के बाद अब पश्चिम रेलवे महाप्रबंधक विवेक कुमार गुप्ता रतलाम से चंदेरिया तक किए काम को देखने 16 दिसंबर को आ रहे है। काम में पिछड़ने की एक बड़ी वजह मंदसौर में शिवना नदी के ब्रिज पर जो गर्डर डलना थी, वो गलत तरीके से डाल दी गई। अब इसके सुधार की कयावद शुरू की गई है। रेलवे परियोजना की समय सीमा पिछड़ने से सबसे बड़ा नुकसान यह होगा की रतलाम को जो सुविधाएं नीमच तक जनवरी माह में मिलना थी, अब वो चार से पांच माह बाद अप्रेल-मई तक मिलेगी।
रतलाम-नीमच डबलिंग प्रोजेक्ट-पिछड़ता जा रहा है। 133 किमी लंबे सेक्शन का काम 2021 में शुरू हुआ था। पहले डेडलाइन मार्च थी, जो आठ माह पहले गुजर चुकी है, इसके बाद दो बार समय-सीमा को बढ़ाया। पहले सितंबर व बाद में दिसंबर माह किया। अब फिर कार्य पूरे होने की सीमा को बढ़ाकर मार्च कर दिया है। अब तक नीमच- मल्हारगढ़ एवं धौसवास से दलौदा का कार्य पूरा हो चुका है। मंदसौर-दलौदा 14.53 किमी, धौसवास-रतलाम के 3.62 किमी तथा मल्हारगढ़-मंदसौर के 23.68 का कार्य चल तो रहा है, लेकिन इसी को पूरा करने में मार्च तक का समय लगेगा।
इसलिए टल गया दौरान
जहां-जहां कार्य अघूरा है, वहां-चहां ट्रैक तो डाला गया है, लेकिन अन्य कार्य शेष है। ऐसे में पहले नवंबर व बाद में दिसंबर में रेलवे सफ्टीकमीश्नर मुंबई का इन सेक्शन में निरीक्षण का दौरा टाला गया। शिवना नदी पर बन रहे ब्रिज पर ठेकेदार ने स्लैब गलत डाल दी, जिसे तोड़कर अब वापस नए सिरे से बनाना पड़ रहा। इसके अलावा रेल खंड में स्टेशन, प्लेटफॉर्म और ब्रिज के काम आधे-अधूरे पड़े हैं।
ब्रिज में तकनीकी खामी
सेक्शन का मेजर ब्रिज जो शिवना नदी पर बन रहा है, उसकी स्लैब और गर्डर दोबारा बनाना पड़ी है, क्योंकि इंजीनियरिंग की लापरवाही के चलते ठेकेदार ने गलत डाल दी थी। इससे काम में समय लग रहा है।
ओवर हेड इक्विपमेंट
दलौदा से मल्हारगढ़ के बीच ओवरहेड इक्विपमेंट का काम अधूरा है। पोल खड़े हो चुके हैं, लेकिन ओएचई पूरी तरह नहीं डल पाई है। वर्तमान में यह काम मंदसौर स्टेशन के आसपास तक ही पहुंचा है।
सिविल वर्क में देरी
स्टेशनों पर बनाए जा रहे नए प्लेटफॉर्म, बिल्डिंग, वेटिंग व पैनल रूम आदि के काम अंतिम चरण में है। इसके अलावा छोटे ब्रिज तो बन चुके लेकिन 31 बड़े ब्रिज में से कुछ का काम बाकी है।
अब तक यह कार्य किया
रतलाम से दलौदा तक लगभग 69 किमी में ट्रैक डल चुका, ट्रेनें चल रही।
नीमच से मल्हारगढ़ तक 25 किमी लंबे सेक्शन में भी दूसरी लाइन बिछ गई है।
दलौदा से मल्हारगढ़ तक के करीब 38 किमी लंबे रेल खंड में ओएचई, सिग्नल, ब्रिज आदि के काम चल रहे हैं।
तेजी से पूरा करवा रहे
हम तेजी से नीमच-रतलाम सेक्शन में दोहरीकरण कार्य को पूरा करवा रहे है। कुछ तकनीकी समस्याएं आई थी, उनको दूर कर लिया है। मार्च के पूर्व दोहरीकरण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
अश्वनी कुमार, डीआरएम, रतलाम
एक्सपर्ट व्यू
नीमच - रतलाम दोहरीकरण कार्य की लेटलतीफी के कारण मेवाड़ से मालवा तक के यात्रियों को महानगरों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी प्राप्त नहीं हो पा रही है। साथ ही क्षेत्र की सीमेंट फैक्ट्रियों को माल परिवहन करने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कार्य पूरा होने के बाद मालवा से मेवाड़ तक महानगरों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा साथ ही माल परिवहन से रेलवे के राजस्व में दिन दुगनी रात चौगुनी वृद्धि होंगी। कार्य की समय-सीमा बढ़ने से लागत में भी वृद्धि हो रही है।
- शिवम राजपुरोहित, सोशल मीडिसा पर रेलवे के मामले उठाने वाले एक्टिविस्ट