भगवद्गीता के अनुसार काम (अत्यधिक इच्छा), क्रोध (गुस्सा) और लोभ (लालच) तीन ऐसे दोष हैं जो इंसान को मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से नष्ट कर देते हैं। इन पर नियंत्रण करके व्यक्ति शांति, सफलता और मोक्ष का मार्ग पा सकता है।
श्रीमद्भगवद्गीता हिंदू धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ है और आज भी हर इंसान के लिए पूरी जिंदगी का गाइड है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए, वे आज भी उतने ही सटी हैं।गीता के सोलहवें अध्याय में एक श्लोक है जिसमें कृष्ण जी ने तीन ऐसी चीजों के बारे में चेतावनी दी है जो सीधे नरक का रास्ता दिखाती हैं:कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।यानी काम, क्रोध और लोभ – ये तीनों आत्मा को बर्बाद करने वाले नरक के दरवाजे हैं। इनसे दूर रहो।
हर इंसान में थोड़ी-बहुत इच्छा होती है, ये ठीक है। लेकिन जब ये हद से बाहर चली जाए तो इंसान सही-गलत भूल जाता है। धर्म, परिवार, इज्जत सब पीछे रह जाता है। बस एक ही चीज दिमाग में घूमती रहती है। नतीजा – रिश्ते टूटते हैं, पैसा बर्बाद होता है, मन में सुकून खत्म हो जाता है।
एक पल का गुस्सा पूरी जिंदगी बर्बाद कर देता है। गुस्से में लोग ऐसी बातें बोल देते हैं या ऐसा काम कर बैठते हैं जिनका बाद में सालों तक पछतावा होता है। माँ-बाप से झगड़ा, पति-पत्नी में तलाक, दोस्ती टूटना, नौकरी जाना – सब गुस्से की देन है। गुस्सा आते ही बुद्धि गायब हो जाती है।
ये सबसे खतरनाक है। लालच में इंसान अपना जमीर तक बेच देता है। बस “थोड़ा और… थोड़ा और” की होड़ लग जाती है। लोग धोखा देते हैं, चोरी करते हैं, रिश्वत लेते हैं, दूसरों का हक मारते हैं। आखिर में न पैसा रहता है, न सुकून, न सम्मान। लालच इंसान को अंधा बना देता है। कृष्ण जी ने कहा है – काम मन को गुलाम बनाता है, क्रोध उसे जला देता है और लोभ उसे अंधा कर देता है। ये तीनों मिलकर इंसान को जिंदा ही नरक में पहुंचा देते हैं।
-जब इच्छा ज्यादा बढ़े तो एक मिनट रुकें, गहरी साँस लें।
-गुस्सा आए तो चुप हो जाएँ, पानी पी लें, बाहर टहल आएँ।
-लालच लगे तो जो है उसके लिए शुक्रिया करें और आगे की चाहत छोड़ दें।
जो इन तीनों पर काबू पा लेता है, उसका मन शांत रहता है, घर में सुख-शांति रहती है, रिश्ते मजबूत रहते हैं और अंत में मोक्ष भी मिलता है।