Premanand Maharaj: बहुत सी महिलाएं यह जानना चाहती हैं कि क्या वे हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर को छू सकती हैं या नहीं। इस विषय पर संत प्रेमानंद महाराज ने अपनी स्पष्ट राय रखी है।
Premanand Maharaj: हनुमान जी, जिन्हें "संकट मोचन" और "बाल ब्रह्मचारी" के रूप में जाना जाता है, उनकी पूजा के संदर्भ में कई तरह के विचार प्रकट होते रहते हैं। खासकर, महिलाओं की भूमिका और उनकी पूजा करने के तरीके को लेकर कई मत होते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि महिलाओं को हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए, जबकि कुछ का कहना है कि यह पूर्णत: व्यक्तिगत भावना और श्रद्धा पर निर्भर करता है। इस पर प्रेमानंद महाराज की राय भी काफी प्रासंगिक है। उनके द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में उन्होंने इस विषय पर विस्तार से विचार किया है।
प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने पूछा कि क्या महिलाओं को हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए? क्या उन्हें हनुमान जी की मूर्ति के पास नहीं जाना चाहिए? इस पर प्रेमानंद महाराज का स्पष्ट उत्तर था कि "क्या मूर्ति के पास जाना ही भक्ति है?" उन्होंने कहा कि भक्ति केवल दिखावे का नाम नहीं है। भक्ति तो सच्चे मन और भाव से होती है, और वह किसी भी स्थान या शारीरिक संपर्क से जुड़ी नहीं होती।
हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी और संजीवनी के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, और उनके जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना गया है। प्रेमानंद महाराज ने इस पर भी ध्यान दिलाया और कहा कि चूंकि हनुमान जी ब्रह्मचारी हैं, इसलिए उनके प्रति सम्मान रखते हुए महिलाओं को उनके शरीर को छूने से बचना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन और शारीरिक संपर्क से बचने का आह्वान हर किसी के लिए आवश्यक है, विशेषकर महिलाओं के लिए।
प्रेमानंद महाराज ने यह भी बताया कि भगवान की पूजा केवल मूर्ति को छूने तक सीमित नहीं होती। यदि किसी महिला के दिल में सच्ची श्रद्धा और भक्ति है, तो वह हनुमान जी की पूजा अपने भावों और मन से कर सकती है। पूजा का वास्तविक स्वरूप शारीरिक संपर्क से नहीं, बल्कि भावनाओं से जुड़ा होता है। हनुमान जी का वास्तविक आशीर्वाद सच्चे श्रद्धालु के मन में निवास करता है, और यही वास्तविक भक्ति है।