धर्म और अध्यात्म

Kartik Amavasya 2025: कार्तिक अमावस्या पर करें ये 5 महाउपाय, हर रोग-दोष हो सकता है दूर

Kartik Amavasya 2025 : 20 अक्टूबर को कार्तिक अमावस्या और दिवाली एक साथ मनाई जाएगी। जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त, धार्मिक महत्व, दीपदान, पितृ तर्पण और दान के खास उपाय जो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाते हैं।

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Oct 20, 2025
Kartik Amavasya 2025 (photo- gemini ai)

Kartik Amavasya 2025: कार्तिक मास की अमावस्या तिथि इस वर्ष 20 अक्टूबर 2025, मंगलवार को मनाई जा रही है। यह दिन दिवाली का मुख्य पर्व भी है, जो कार्तिक कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों एक ही राशि में होते हैं, इसलिए इसे दर्श अमावस्या भी कहा जाता है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 21 अक्टूबर शाम 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। इस दौरान अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 से 12:28 बजे तक रहेगा, जबकि राहुकाल दोपहर 2:55 से शाम 4:20 बजे तक रहेगा। अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ हो जाएगी, जो नए चंद्र मास की शुरुआत का संकेत है।

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कार्तिक अमावस्या का धार्मिक महत्व

कार्तिक अमावस्या को शास्त्रों में अत्यंत पवित्र और फलदायी तिथि माना गया है। ब्रह्म पुराण के अनुसार, इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों के घरों में सुख, धन और सौभाग्य का वास करती हैं। वहीं, पद्म पुराण में लिखा है कि इस दिन दीपदान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जो हजारों गायों के दान के समान फल देता है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन गीता पाठ, अन्न दान और भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करना चाहिए। यह सभी पापों का नाश करता है और जीवन में स्थायी समृद्धि लाता है।

दान और स्नान का महत्व

कार्तिक अमावस्या पर तीर्थ स्नान और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना गया है। यदि किसी कारणवश तीर्थ यात्रा संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी तीर्थ स्नान के समान फल देता है। इस दिन अन्न, वस्त्र और धन का दान अवश्य करना चाहिए। यह दान रोग, शोक और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

पितृ तर्पण और उपाय

कार्तिक अमावस्या को दर्श अमावस्या भी कहा जाता है, जो पितरों की आत्मा को शांति देने का सर्वोत्तम दिन है। इस दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है। दीपक में काले तिल डालकर पितरों का स्मरण करें, क्षमा मांगें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें। इसके बाद पीपल की परिक्रमा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और रुके हुए कार्यों में प्रगति होती है। इसके अलावा, शिवलिंग पर जल चढ़ाना, ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप, और गरीबों को अन्न या वस्त्र दान करना भी अत्यंत शुभ माना गया है। ये सभी कार्य नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

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Published on:
20 Oct 2025 12:59 pm
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