धर्म और अध्यात्म

Roop Chaudas: रूप चतुर्दशी और नरक चतुर्दशी आज, घर-घर जलाए जाएंगे यम दीप, जानें अभ्यंग स्नान समेत अन्य परंपराएं और मान्यताएं

Roop Chaudas 2024: धनतेरस के अगले दिन यानी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दीपावली, रूप चतुर्दशी और नरक चतुर्दशी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन यमराज की पूजा और अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। आइये जानते हैं छोटी दीपावली की परंपराएं और अभ्यंग स्नान का समय ...

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Oct 29, 2024
Roop Chaudas 2024 Date: रूप चौदस की परंपराएं

Roop Chaudas 2024: पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार रूप चतुर्दशी 31 अक्टूबर 2024 को है। इस दौरान घरों में अभ्यंग स्नान होगा। सभी लोग सूर्योदय से पूर्व उठकर उबटन लगाकर स्नान और पूजन करेंगे।


इसके अलावा यह पर्व स्त्रियों के लिए खास होता है, स्त्रियां सज संवरकर पूजा-अर्चना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने से लोगों को नर्क की यातनाऐं नहीं भोगनी पड़ती है। इसी कारण इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर हल्दी, चंदन, सरसों के तेल से उबटन तैयार कर उसका लेप शरीर में लगाकर स्नान करती हैं। स्नान के बाद दीपदान होता है। प्रतीकात्मक तौर हल्दी मिले आटे के दीये को पांव लगाते हैं। आइये जानते हैं अभ्यंग स्नान का समय क्या है …

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चतुर्दशी तिथि प्रारंभः 30 अक्टूबर दोपहर 01:16 बजे से
चतुर्दशी तिथि समापनः 31 अक्टूबर दोपहर 03:53 बजे तक
रूप चौदसः 31 अक्टूबर गुरुवार को (हालांकि इस तिथि के निमित्त दीपदान 30 को ही हो जाएगा )


अभ्यंग स्नान का समय

31 अक्टूबर सुबह 05:28 बजे से 06:41 बजे तक

जहां सफाई और सुंदरता, वहीं लक्ष्मी जी का वास

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार धन की देवी मां लक्ष्मी जी उसी घर में रहती हैं जहां सुंदरता और पवित्रता होती है। इसलिए इस दिन लोग लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए घरों की सफाई और सजावट करते हैं। इसका एक अर्थ ये भी है कि वो नरक यानी गंदगी का अंत करते हैं। इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर की सफाई जरूर करनी चाहिए। घर की सफाई के साथ ही अपने रूप और सौन्दर्य प्राप्ति के लिए भी शरीर पर उबटन लगा कर स्नान की भी परंपरा है।

जलाए जाते हैं दीपक

नरक चतुर्दशी की रात को तेल अथवा तिल के तेल के 14 दीपक जलाने की भी परंपरा है। इसके अलावा घर के बाहर गृह स्वामी की ओर से यम दीप जलाया जाता है और यम की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इससे घर के सदस्यों की अकाल मृत्यु नहीं होती। इसके अलावा बजरंगबली का जन्मोत्सव भी भक्त इस दिन मनाते हैं।

एक अन्य मान्यता के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण ने माता अदिति के आभूषण चुराकर ले जाने वाले निशाचर नरकासुर का वध कर 16 हजार कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी। इसी कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जानते हैं।

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Updated on:
31 Oct 2024 11:03 am
Published on:
29 Oct 2024 07:01 pm
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