Surya Mantra : सूर्य ग्रहण या सूर्योदय के समय "ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय नमः" मंत्र का जाप बेहद फलदायी माना गया है। यह मंत्र सूर्य देव को प्रसन्न कर आत्मबल, स्वास्थ्य, सफलता और पद-प्रतिष्ठा दिलाता है। जानें जाप की विधि और फायदे।
Surya Mantra : हिंदू धर्म में सूर्य देवता को प्रत्यक्ष देवता माना गया है। वे न केवल प्रकाश और ऊर्जा के स्रोत हैं, बल्कि जीवनदायी शक्ति के प्रतीक भी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रह व्यक्ति की आत्मा, आत्मविश्वास, सफलता और प्रतिष्ठा का कारक ग्रह है। जब सूर्य कमजोर होता है, तब जीवन में आत्मबल की कमी, कार्यों में रुकावट और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। ऐसे समय में सूर्य देवता की उपासना करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
सूर्य देवता को प्रसन्न करने का एक अचूक मंत्र है। ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। इस मंत्र का जप करने से सूर्य की शक्ति प्रबल होती है और जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है। तो आइए जानते हैं इस मंत्र को जाप करने की सही विधि और इसका महत्व।
आम तौर पर ग्रहण को अशुभ माना जाता है, लेकिन धार्मिक ग्रंथों में ग्रहण के समय मंत्र जप, ध्यान और साधना को अत्यंत फलदायी बताया गया है। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान किए गए जप का फल सामान्य समय से कई गुना अधिक मिलता है। इसलिए सूर्य ग्रहण के समय इस मंत्र का जाप करना बेहद शुभ माना गया है। वहीं, 21 सितंबर यानी पितृ विसर्जनी अमावस्या पर सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) लग रहा है। लेकिन इसका प्रभाव नहीं होगा क्योंकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा। धार्मिक कार्य समय पर होंगे। ग्रहण आंशिक रूप से न्यूजीलैंड फिजी अंटार्कटिका और आस्ट्रेलिया में दिखेगा। इस दौरान आप चाहे तो इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इससे सुर्य देव की कृपा आप पर बनी रहेगी।
आत्मबल की वृद्धि – इस मंत्र का जाप करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति में साहस का संचार होता है।
स्वास्थ्य लाभ – सूर्य से जुड़ी बीमारियां जैसे आंखों की समस्या, हड्डियों की कमजोरी, और थकान दूर करने में यह मंत्र लाभकारी माना गया है।
पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि – नौकरी, व्यवसाय और सामाजिक जीवन में सम्मान पाने के लिए यह मंत्र बेहद प्रभावी है।
ग्रह दोष निवारण – सूर्य कमजोर होने से या शनि-सूर्य के अशुभ प्रभाव से जीवन में रुकावटें आती हैं। यह मंत्र उन दोषों को शांत करने में सहायक है।
सूर्योदय के समय या ग्रहणकाल में स्नान करके शुद्ध होकर मंत्र जाप करें। लाल आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करना श्रेष्ठ माना गया है। कम से कम 108 बार रुद्राक्ष की माला से मंत्र का जप करें। मंत्र जाप के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अवश्य दें।