पुरानी मान्यताएं आज के आधुनिक युग में भी ग्रामीण क्षेत्रों में जीवित हैं, जिससे मौसम का सटीक अनुमान लग जाता है।
बीना. आधुनिक युग में जहां आज लोग मानसून की जानकारी यंत्रों से लेते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग पुरानी मान्यताओं से मानसून का अनुमान लगाते हैं। ग्रामीणों की मानें तो उनका यह अनुमान सटीक भी निकलता है।
ग्रामीण टिटहरी पक्षी के अंडों से मानसून का पता लगाते हैं, टिटहरी जितने अंडे देती है उतने माह बारिश होती है ऐसा उनका मानना है। इस साल रिफाइनरी के पास और उमरिया गांव में टिटहरी ने चार-चार अंडे दिए हैं। उमरिया निवासी 70 वर्षीय किसान वीरसिंह यादव का कहना है कि बचपन में उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना था कि टिटहरी जितने अंडे देती है, उतने माह बारिश होती है। उनका भी 60 साल का अनुभव है और यह बात सटीक निकलती है। टिटहरी ने चार अंडे दिए हैं और उसके अनुसार इस साल चार माह वर्षा होगी। ग्रामीण टिटहरी के अंडों को शुभ संकेत मानते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक इस साल मानसून अच्छा रहने की उम्मीद है। आज के दौर में यह बात सुनने में अटपटी लगेगी, लेकिन जब मानसून सटीक आंकलन करने की तकनीक नहीं थी तब लोग इसी टिटहरी के अंडों को लेकर सानसून का अनुमान लगाते थे और आज भी टिटहरी इसे मानते है।
मौसम विभाग का अनुमान चार माह होगी बारिश
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भी इस वर्ष जून से सितंबर तक पूरे देश में मानसून रहने का अनुमान है, जिससे इस वर्ष अच्छी बारिश होगी। जून से सितंबर तक चार माह मानसून सक्रिय रहेगा।