सागर

धर्म में प्रदर्शन उथला और दर्शन गहरा होता है: विमल सागर

आत्मा का नहीं शरीर का वजन होता है। अनादि काल से यह शरीर दुख उठाता आया है। मानव जीवन मिला है, तो अपने कर्मों को काटकर मोक्ष मार्ग पर बढ़ो। यह बात मुनि विमल सागर ने 720 समोशरण विधान के चौथे दिन विद्योदय जैन तीर्थ क्षेत्र में कही। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में समोशरण […]

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Oct 01, 2025

आत्मा का नहीं शरीर का वजन होता है। अनादि काल से यह शरीर दुख उठाता आया है। मानव जीवन मिला है, तो अपने कर्मों को काटकर मोक्ष मार्ग पर बढ़ो। यह बात मुनि विमल सागर ने 720 समोशरण विधान के चौथे दिन विद्योदय जैन तीर्थ क्षेत्र में कही।

उन्होंने कहा कि जैन धर्म में समोशरण सर्वश्रेष्ठ सभा होती है। इस सभा में सभी प्रकार के जीव बैठते हैं। देव, मनुष्य, इंद्रगण, देवियां सभी आकर के बैठकर सुनते हैं। मुनि ने लोगों से आह्वान किया कि सर्वतोभद्र जिनालय के निर्माण में दान करें। दान आपको स्वर्ग में ले जाएगा। जब भी दान दो, अच्छे भाव से दो और जितना जल्दी जमा करोगे उतना फायदा आपको होगा। अपने घर अतिथियों के लिए खुले रखें। पहले अतिथि को खिलाएं और बाद में स्वयं खाएं। यह धर्म की नीति है। मुनि ने कहा धर्म में प्रदर्शन उथला और दर्शन गहरा होता है। दर्शन का विषय बनाओ प्रदर्शन का नहीं। जैन धर्म का यह 720 समोशरण का महाकुंभ सागर में चल रहा है। मंदिर भी समोशरण का रूप होते हैं। इस दौरान जैन धर्म के 9 वें तीर्थंकर शीतलनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक पर लाडू चढ़ाया गया।

Published on:
01 Oct 2025 05:09 pm
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