शहर का शासकीय जिला पुस्तकालय इतिहास दस्तावेजों के संग्रह को व्यवस्थित करने के पहले प्रयासों से शुरू हुआ। इसकी स्थापना 1932 में अंग्रेजों के शासन में हुई थी। स्वतंत्रता के बाद 1952 में इसको शासकीय जिला ग्रंथालय का नाम दिया गया। तब से लेकर 2020 तक यह 10 बाय 20 के एक खप्पर वाले मकान में ही संचालित हो रहा था।
जिला पुस्तकालय में कराई जा रही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी, 3 वर्षों में उत्तीर्ण हुए 40 छात्र-छात्राएं
सागर. शहर का शासकीय जिला पुस्तकालय इतिहास दस्तावेजों के संग्रह को व्यवस्थित करने के पहले प्रयासों से शुरू हुआ। इसकी स्थापना 1932 में अंग्रेजों के शासन में हुई थी। स्वतंत्रता के बाद 1952 में इसको शासकीय जिला ग्रंथालय का नाम दिया गया। तब से लेकर 2020 तक यह 10 बाय 20 के एक खप्पर वाले मकान में ही संचालित हो रहा था। प्रभारी मनीष कुमार नेमा ने शासन को एक लेआउट बनाकर दिया। 72 लख रुपए स्वीकृत कराकर नया भवन बना। पुस्तकालय में मिल रही विभिन्न सुविधाओं की वजह से आज में यहां सैकड़ों छात्र-छात्राएं पढऩे के लिए पहुंचते हैं। खास बात यह है कि यहां प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी कराई जाती है। वर्ष 2022 से अब तक 40 के करीब विद्यार्थियों ने परीक्षा को पास किया है। पुस्तकालय में पुस्तकों, पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, शोध पत्रों, ई-पुस्तकों, और अन्य संसाधनों का एक विस्तृत संग्रह है। प्राचीन और आधुनिक साहित्य, कला, इतिहास, और अन्य सांस्कृतिक वस्तुओं को सुरक्षित यहां रखा गया है।
डिजिटल पुस्तक की सुविधा
मनीष नेमा ने बताया कि पुस्तकालय में वाई-फाई की सुविधा है। यहां ऑनलाइन लेक्चर से भी छात्र-छात्राओं को जुडऩे का मौका मिलता है। ई पुस्तक, ई-जर्नल और डेटाबेस की सुविधा है। इसके साथ पुस्तक बैंक और कार्ड मिलने से भी लगातार विद्यार्थी जुड़ रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं की सभी न्यूजपेपर व पत्रिका पढऩे मिलती हैं।
पुस्तकालय से मिला रोजगार
छात्र अमित साहू ने बताया कि उन्होंने पुस्तकालय में ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने बताया कि उनका चयन पुलिस में हो गया है। गोविंद पांडे ने बताया कि पीएससी मैन एग्जाम पास कर लिया है। इंटरव्यू की तैयारी चल रही है। उन्होंने बताया कि पुस्तकालय में ही इंटरव्यू की तैयारी कर रहा हूं। छात्र अंकित साहू ने बताया कि उनका चयन रेलवे में हो गया है।