कई किसानों ने फसल पर चला दिया पंजा, कटाई कराना भी पड़ेगा महंगा
बीना. इस वर्ष खरीफ फसल को शुरुआत से हो रही बारिश ने प्रभावित किया है, जिससे फसल बहुत छोटी रह गई है और उत्पादन ना के बराबर होगा। क्षेत्र के कई किसानों ने तो सोयाबीन, उड़द की फसल पर ट्रैक्टर का पंजा चलाकर बखरनी कर दी है। साथ ही खेत सूखते ही अधिकांश किसान फसलों की बखरनी करने की तैयारी में हैं।
क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी 38000 हैक्टेयर और उड़द की बोवनी 8000 हैक्टेयर में हुुई है। बारिश से सबसे ज्यादा दोनों फसलों को नुकसान हुआ है। स्थिति यह है कि फसल आधा फीट की रह गई है और चार-चार फलियां नजर आ रही हैं, जिससे किसानों को लागत निकलने की भी उम्मीद नहीं है। साथ ही फसल की कटाई कराना भी महंगी पड़ेगी, इसलिए उसकी बखरनी कर रहे हैं, जिससे अगली फसल के लिए खेत तैयार हो सकें। किसान फसल खराब होने पर राहत राशि और बीमा दिलाने की मांग कर रहे हैं, जिससे रबी सीजन की फसल की बोवनी के लिए खाद बीज की व्यवस्था कर सकें।
किसानों पर आ गया है आर्थिक संकट
किसान जितेन्द्र सिंह ने बताया कि खरीफ फसल खराब होने से किसानों पर आर्थिक संकट आ गया है। किसानों ने लाखों रुपए की लागत लगाकर बोवनी की थी, लेकिन अब लागत निकलने की भी उम्मीद न होने पर फसल की बखरनी कर दी है। किसानों को रबी फसल की बोवनी करने में भी परेशानी आएगी।
खेत सूखते ही कर देंगे बखरनी
किसान अर्जुन सिंह ने बताया फसल खराब हो चुकी है और खेत सूखने पर उसकी बखरनी करेंगे। यदि फसल खड़ी रहेगी, तो खेत खराब होने के साथ-साथ उसकी कटाई कराने में भी ज्यादा रुपए लग जाएंगे। सरकार को जल्द राहत राशि देनी चाहिए।
पचास प्रतिशत से ज्यादा नुकसान
बाढ़ और अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों का सर्वे किया गया है और प्राथमिक रिपोर्ट में पचास प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान आया है। फसल पकने के बाद क्रॉप कटिंग में उत्पादन का पता चलेगा।
अवधेश राय, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी