अधिकारियों को सामंजस स्थापित करने में हो रही परेशानी, मालखेड़ी स्टेशन को भोपाल मंडल में शामिल करने की मांग भी अधूरी
बीना. बीना जंक्शन से झांसी व सागर रूट पर महज दो किलोमीटर दूर से दूसरे रेल मंडल की सीमा शुरू हो जाती है, यही कारण है कि शहर के नजदीक होने के बाद भी मालखेड़ी स्टेशन पर सुविधाओं में विस्तार नहीं हो पा रहा है। यह स्टेशन जबलपुर मंडल का आखरी स्टेशन है। इसी तरह झांसी गेट के आगे भी यही स्थिति है, जहां से झांसी मंडल की सीमा शुरू हो जाती है। सीमा अलग होने के कारण यहां पर अधिकारियों को आपस में सामंजस बनाने में भी दिक्कत होती है।
दरअसल बीना जंक्शन के आगे दो मुख्य रेल लाइन बीना-कटनी व बीना-झांसी लाइन पर स्टेशन से दो किलोमीटर दूर से भोपाल मंडल की सीमा खत्म हो जाती है। जिस वजह से दोनों जगहों के अधिकारियों के बीच सामंजस स्थापित नहीं हो पाता है। बीना-झांसी लाइन पर इसका असर भी दिखता है। बीना से चलने वाली कई टे्रनों में झांसी गेट के पास से कई अवैध वेंडर सक्रिय हो जाते हैं, लेकिन इन अवैध वेंडर पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। इतना ही नहीं मोतीचूर नदी पुल के पास बड़ी संख्या में कोयला चोर भी सक्रिय है, जो चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं। यदि भोपाल मंडल के क्षेत्र में विस्तार किया जाए, तो बीना आरपीएफ उनपर कार्रवाई कर सकती है, जिससे रेलवे को नुकसान से बचाया जा सकता है। साथ ही यात्रियों को सुरक्षा दी जा सकती है।
मालखेड़ी स्टेशन को भी भोपाल मंडल में शामिल किया जाए
लंबे समय से यह मांग चली आ रही है कि मालखेड़ी जंक्शन के लिए भोपाल मंडल में शामिल किया जाए। यदि ऐसा किया जाता है तो मालखेड़ी स्टेशन पर तेजी से सुविधाओं में विस्तार होगा। इस स्टेशन के लिए रेलवे पूर्व में मॉडल स्टेशन के रूप में विकसित करने जा रही थी, लेकिन यहां पर आज कि स्थिति में सुविधाएं बढ़ाए जाने की बजाए कम की जा रही है। इस स्टेशन पर कुछ साल पहले तक रिजर्वेशन काउंटर चालू था, जिसे बंद कर दिया गया है। इतना ही नहीं यहां करीब 28 ट्रेन हर दिन आकर रुकती है, जिनमें यात्रा करने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए एटीएम बूथ, पर्याप्त खान-पान के स्टॉल, वाहन पार्किंग तक नहीं है। इस स्टेशन पर गोंडवाना एक्सप्रेस, दयोदय एक्सप्रेस, उत्कल एक्सप्रेस जैसी बड़ी टे्रन इस स्टेशन पर रुकती है, जिनसे यात्रा करने वाले यात्रियों को परेशानी हो रही है। शहर के लोग इस स्टेशन को भोपाल मंडल में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में रेलवे अधिकारियों व सांसद से भी मांग की जा चुकी है।