विभाग नहीं कर रहा संरक्षण का प्रयास
सतना/ मारकुंडी/ रानीपुर वन्यजीव विहार के बीच से निकली हावड़ा-मुंबई रेल लाइन वन्यजीवों के लिए मौत का कारण बन हो रही है, लेकिन विलुप्तप्राय प्राणियों के संरक्षण के लिए विभाग की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है। पिछले एक दशक में कई प्रजातियों के वन्यजीवों की ट्रेनों से कटकर मौत हो चुकी है। मानिकपुर-चितहरा तक रेल लाइन पर कई वन्यजीव दुर्घटना का शिकार हुए हैं। करीब चार साल पहले इसी रेल लाइन पर चितहरा के पास बाघ की ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो गई थी।
पिछले वर्ष मारकुंडी रेलवे स्टेशन के पास भारी अजगर की ट्रेन मे कटकर मौत हो गई थाी। महीनों पहले इंटवां डुड़ैला के पास ट्रेन से कटकर भालू की मौत हो गई थी। इसी तरह कई वन्यजीव ट्रेन से टकराकर काल के गाल मे समा गाए लेकिन विभाग वन्यजीवों के सुरक्षा के लिए कोई ऐसा प्रयास नहीं कर रहा जिससे की विलुप्तप्राय वन्यजीवों को बचाया जा सके।
टिकरिया-मझगवां रेल ट्रैक के बीच दिखा अजगर
शुक्रवार को हावड़ा-मुंबई रेल मार्ग के टिकरिया-मझगवां स्टेशन के मध्य रेलवे ट्रैक पार करते हुए विशाल अजगर देखा गया। लोगों ने बताया शुक्रवार कि दोपहर इंटवां जंगल के पास अजगर देख लोग डरकर दूर भाग खड़े हुए। अजगर अप और डाउन रेल लाईन को पार कर रहा था, उसी समय अप लाईन से ट्रेन गुजरने वाली थी, लेकिन लोगों द्वारा शोर मचाने और ट्रेन की आवाज सुनकर अजगर झाडिय़ों की ओर जाकर छिप गया। अगर अजगर तेजी से ट्रैक को पार न करता तो शायद ट्रेन की चपेट में आकर काल के गाल मे समा जाता।
संरक्षण के नहीं किए जा रहे प्रयास
वन्यजीव प्रतिपालक विभाग की ओर से वन्यप्राणियों के संरक्षण के प्रयास न किए जाने पर पर्यावरण प्रेमियों में काफी आक्रोश है। पर्यावरण प्रेमी शंकरदयाल कहते हैं हर वर्ष ट्रेन की चपेट मे आकर वन्यजीव काल के गाल मे समा जाते हैं।