सवाई माधोपुर

राजस्थान में चंबल की लहरों पर कब चलेगा क्रूज? जानें क्यों आगे नहीं बढ़ पा रहा 3 साल पुराना प्रोजेक्ट

Rajasthan Tourism: राजस्थान में चंबल की लहरों पर तीन साल बाद भी क्रूज नहीं चल पाया है। अगर योजना को आगे बढ़ाया जाएं तो पर्यटन विकास के साथ रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।

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क्रूज (फाइल फोटो)

Rajasthan Tourism: सवाईमाधोपुर। सरकार की ओर से एक ओर तो प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों का बजट खर्च किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर योजनाएं फाइलों से बाहर ही नहीं आ पा रही है। चंबल की लहरों पर क्रूज संचालन की योजना तीन साल बाद भी फाइलों में दफन है। अगर योजना को आगे बढ़ाया जाएं तो पर्यटन विकास के साथ रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।

करीब तीन साल पहले 2022-23 में राजस्थान में सरकार की ओर से वाटर व बोटिंग ट्यूरिज्म को बढ़ावा देने को लेकर पर्यटन विभाग के साथ वार्ता की थी। इसके बाद पर्यटन विभाग की ओर से भी तैयारी शुरू की गई थी, लेकिन करीब तीन साल से अधिक समय बीतने के बाद भी अब तक मामला आगे नहीं बढ़ सका है।

गंगा की तर्ज पर होना था संचालन

देश में गंगा नदी सहित अन्य प्रमुख नदियों एवं जल क्षेत्रों में इस तरह के क्रूज शिप चलाए जा रहे है। इससे उन क्षेत्रों में पर्यटन विकास एवं रोजगार के लिए नई सभावनाएं खुली है।

राजस्थान में भी इसी तर्ज पर चबल नदी और अन्य प्रमुख झीलों, तालाबों आदि में क्रूज तथा हाऊस बोट चलाए जाने के प्रयास शुरू किए गए थे। यहां तक उदयपुर की कुछ झीलों में भी बोट और क्रूज का संचालन शुरू किया जा चुका है।

ठेके पर होना था संचालन

विभाग के अधिकारियों की मानें तो क्रूज को ठेके पर संचालित किया जाना था। विभाग ने कई जगहों पर बोट भी ठेके पर चला रखी है। उसी की तर्ज पर क्रूज भी ठेके पर ही संचालित की जानी थी, हालांकि अब तक कुछ नहीं हो सका है।

पूर्व मंत्री ने देखा था प्रजेंटेशन

क्रूज टूरिज्म की तैयारी के बीच पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र ने इसका प्रजेंटेशन भी देखा था। एक निजी कंपनी हेरिटेज रिवर जर्नीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से इसका प्रजेेटेशन दिया गया था।

इसके बाद पर्यटन मंत्री विभाग के अधिकारियों को क्रूज टूरिज्म की तैयारियां तेज करने के निर्देश भी दे चुके है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो हेरिटेज रिवर जर्नीज प्राइवेट लिमिटेड इसका प्रपोजल बनाकर देना था, लेकिन इसके बाद यह मामला आगे नहीं बढ़ सका।

इनका कहना है

पूर्व में इस प्रकार की योजना बनाई गई थी। इसका काम वन विभाग की ओर से कराया जाना था। लेकिन अभी तक यह धरातल पर नहीं उतर सकी है। इस बारे में मुझे अधिक जानकारी नहीं है।
-मधुसूदन सिंह चारण, सहायक निदेशक, पर्यटन, सवाईमाधोपुर

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